For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

1222 1222 122
बड़ी दिल-जू रही सूरत हमारी
उदासी खा गई सूरत हमारी

ग़मों को एक चहरा चाहिए था
उन्हें भी भा गई सूरत हमारी

सभी हैरान होकर देखते हैं
लगे सबको नई सूरत हमारी

न जाने कौन शब भर ख़्वाब में था
किसे अच्छी लगी सूरत हमारी

हमारे लब भले चुप हो गये 'ब्रज'
कहे हर अनकही सूरत हमारी

(मौलिक एवं अप्रकाशित)
बृजेश कुमार 'ब्रज'

Views: 639

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on December 28, 2022 at 6:47pm

भाई जैफ आपका बहुत बहुत शुक्रिया

Comment by Zaif on December 24, 2022 at 2:26pm

आ. बज्र जी, उस्ताद समर सर जी की बात सही है, 'रेख़्ता' में काफ़ी चीज़ें ग़लत हैं।

और ये ग़ज़ल बहुत ख़ूब हुई। सादर

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on December 23, 2022 at 11:33pm

आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय समर जी मार्गदर्शन के लिए...

Comment by Samar kabeer on December 23, 2022 at 6:44pm

'सभी हैरान होकर देखते हैं'

ये मिसरा बहतर है ।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on December 22, 2022 at 8:21pm

आदरणीय समर जी आपकी बात दुरुस्त है...सुधार किया जा सकता है जैसे "सभी हैरान होकर देखते हैं" सादर

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on December 22, 2022 at 7:44pm

आदरणीया सुधा जी आपका हार्दिक अभिनंदन संग आभार

Comment by Samar kabeer on December 22, 2022 at 4:08pm

//रेख़्ता पे "हैरानगी" शब्द बताया गया है//

रेख़्ता पर ग़लत बताया गया है, इसी तरह की और बहुत सी जानकारियाँ रेख़्ता पर ग़लत बताई जाती हैं,वो भरोसे लाइक़ नहीं है,आगे आप देख लें आपको क्या सहीह लगता है ।

Comment by Sudha tripathi on December 22, 2022 at 3:44pm

 जनाब  ब्रज जी,

नमस्कार

आपने बहुत अच्छी गजल कही है बधाई स्वीकार करें।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on December 22, 2022 at 12:04pm

रचना पटल पे आपकी गरिमामई उपस्थित के लिए हार्दिक आभार आदरणीय समर जी...रेख़्ता पे "हैरानगी" शब्द बताया गया है!?

Comment by Samar kabeer on December 21, 2022 at 6:24pm

जनाब बृजेश कुमार 'ब्रज' जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।

'सभी हैरानगी से देखते हैं'

इस मिसरे में 'हैरानगी' शब्द सहीह नहीं है, सहीह शब्द है "हैरानी" देखिएगा ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
18 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"धन्यवाद सर, आप आते हैं तो उत्साह दोगुना हो जाता है।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और सुझाव के लिए धन्यवाद।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। आपकी उपस्थिति और स्नेह पा गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ । आपके अनुमोदन…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुइ है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"शुक्रिया ऋचा जी। बेशक़ अमित जी की सलाह उपयोगी होती है।"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"बहुत शुक्रिया अमित भाई। वाक़ई बहुत मेहनत और वक़्त लगाते हो आप हर ग़ज़ल पर। आप का प्रयास और निश्चय…"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"बहुत शुक्रिया लक्ष्मण भाई।"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आदरणीय अजय जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई है बधाई स्वीकार कीजिये अमित जिनकी टिप्पणी से सीखने को मिला…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service