For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गीत-८ (लक्ष्मण धामी "मुसाफिर")

गीत-८
--------
कामना में नित्य जिस की, हर कली सुख की लुटाई।
पा लिया स्पर्श तेरा वेदना ने, अब न लेगी वो विदाई।।
*
वेदना के बीज  से  ही, जन्म  लेता  है सुखद क्षण।
जेठ की तीखी तपन का, दान जैसे ओस का कण।।
कंटकों में पुष्प खिलते, दीप जलते नित तमस में।
मोल सुख का जानने को, हो गयी दुख से सगाई।।
*
ध्वंस के अवशेष पर नित, दीप दुनिया है जलाती।
प्राण रहते पूछने  पर,  एक पल भी वह न आती।।
कर समर्पित प्राण ऐसे, चिर अखण्डित वेदना पर।
शेष करने फिर  स्वयं  को, थी  विहँस  धूनी रमाई।।
*
जग हँसेगा  सोचकर  ही, श्वास  में क्रंदन छुपाया।
और नित संताप-रथ पर, मौन हृदय को जलाया।।
जो उमग जाता कहीं ये, बोल देता जग छिछोरा।
चुप रहा यौवन सहम यूँ, ली नहीं कोई अँगड़ाई।।
*
था व्यथा का मौन  सागर, नित्य  अधरों पर तरंगित।
भाव से उसके कदाचित, हो जगत पाया न परिचित।।
क्रोच वध की वेदना सी, सन्त जैसी आह निकली।
पर नहीं अभिषाप  देने,  इस जगत को सौं उठाई।।

रूप का अपमान करना, लोक में अभिशाप जैसा
कामना करना सुमन की, हो गया फिर पाप कैसा?
जो कहा माना वही सब, मौन रहकर दृष्टि नत की
पा रहा सन्ताप  फिर  क्यों, की  नहीं कोई ढिठाई।।
*
मौलिक/ अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

Views: 210

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 30, 2022 at 9:23pm

आ. भाई सुशील जी सदर अभिवादन। गीत पर उपस्थिति व स्नेह के लिए आभार।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 30, 2022 at 9:22pm

आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन। गीत पर आपकी प्रतिक्रिया से मन आस्वस्त हुआ। हार्दिक आभार।

Comment by Samar kabeer on December 30, 2022 at 2:42pm

जनाब लक्ष्मण धामी जी अच्छा गीत हुआ है, बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Sushil Sarna on December 27, 2022 at 9:05pm
वाहहहहहह आदरणीय लक्ष्मण धामी जी अनुपम सृजन के लिए हार्दिक बधाई सर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय "
36 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"जी ठीक है  मशविरा सब ही दे रहे हैं पर/ मगर ध्यान रख तेरे काम का क्या है ।"
41 minutes ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय शुक्ला जी सादर अभिवादन स्वीकार करें। अच्छी ग़ज़ल हेतु बधाई।"
1 hour ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय मिथिलेश जी सादर नमस्कार। बहुत बहुत आभार आपका।"
1 hour ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"सादर नमस्कार। बहुत बहुत शुक्रियः आपका"
1 hour ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी सादर अभिवादन स्वीकार करें। अच्छी ग़ज़ल हेतु बधाई आपको।"
1 hour ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"सम्माननीय ऋचा जी । बहुत बहुत आभार"
1 hour ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय यूफोनिक अमित जी सादर अभिवादन स्वीकार करें। आदरणीय ग़ज़ल तक आने व बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु…"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"जी बहुत बहुत शुक्रिय: आदरणीय "
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत शुक्रिय: आदरणीय "
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय "
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी बहुत शुक्रिया आपका हौसला अफ़ज़ाई के।लिए सादर"
2 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service