उषा अवस्थी
"नग्नता" सौन्दर्य का पर्याय
बनती जा रही है
फिल्म चलने का बड़ा आधार
बनती जा रही है
"तन मेरा मैं
जो भी चाहे सो करूँ"
की विषैली सोच का उन्माद
गहती जा रही है
आधुनिकता शब्द का
नव अर्थ गढ़
संक्रमण का बीज धरती पर
सतत बिखरा रही है
मार्ग मध्यम छोड़कर
है दिन-ब-दिन
अमर्यादित आचरण
विस्तार करती जा रही है
"नग्नता" सौन्दर्र का पर्याय
बनती जा रही है
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आदरणीय लक्ष्मण धामी जी ,रचना पसंद आई, जानकर खुशी हुई, हार्दिक धन्यवाद आपका।
आ. ऊषा जी, सादर अभिवादन। उत्तम समसामयिक रचना हुई है। हार्दिक बधाई।
आदरणीय दयाराम जी ,रचना सुन्दर लगी , जानकर हर्ष हुआ। हार्दिक आभार आपका
आदरणीय उषा अवस्थी जी, सुंदर एवं सामयिक सृजन के लिए बधाई स्वीकार करें।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online