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सौन्दर्य का पर्याय

उषा अवस्थी

"नग्नता" सौन्दर्य का पर्याय 

बनती जा रही है

फिल्म चलने का बड़ा आधार

बनती जा रही है

"तन मेरा मैं

जो भी चाहे सो करूँ"

की विषैली सोच का उन्माद 

गहती जा रही है

आधुनिकता शब्द का

नव अर्थ गढ़

संक्रमण का बीज धरती पर

सतत बिखरा रही है

मार्ग मध्यम छोड़कर 

है दिन-ब-दिन

अमर्यादित आचरण

विस्तार करती जा रही है

"नग्नता" सौन्दर्र का पर्याय

बनती जा रही है

मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment

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Comment by Usha Awasthi on January 8, 2023 at 8:01am

आदरणीय लक्ष्मण धामी जी ,रचना पसंद आई, जानकर खुशी हुई, हार्दिक धन्यवाद आपका।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 8, 2023 at 6:32am

आ. ऊषा जी, सादर अभिवादन। उत्तम समसामयिक रचना हुई है। हार्दिक बधाई।

Comment by Usha Awasthi on January 7, 2023 at 5:54pm

आदरणीय दयाराम जी ,रचना सुन्दर लगी , जानकर हर्ष हुआ। हार्दिक आभार आपका

Comment by Dayaram Methani on January 7, 2023 at 5:17pm

आदरणीय उषा अवस्थी जी, सुंदर एवं सामयिक सृजन के लिए बधाई स्वीकार करें।

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