दोहा सप्तक. . . . . लक्ष्य
कैसे क्यों को छोड़ कर, करते रहो प्रयास ।
लक्ष्य भेद का मंत्र है, मन में दृढ़ विश्वास ।।
करते हैं जो जीत से, लक्ष्यों का शृंगार ।
उनको जीवन में कभी, हार नहीं स्वीकार ।।
आज किया कल फिर करें, लक्ष्य हेतु संघर्ष ।
प्रतिफल है प्रयासों का , लक्ष्य प्राप्ति पर हर्ष ।।
देता है संघर्ष ही, जीवन को उत्कर्ष ।
आज नहीं तो जीत का, कल छलकेगा हर्ष ।।
सच्ची कोशिश हो अगर, मंज़िल आती पास ।
दे जाता संघर्ष को, एक नया विश्वास ।।
सोच समझ कर जो करे, लक्ष्यों का संधान ।
जीवित फिर उसकी रहे, सदियों तक पहचान ।।
मत छोड़ो संघर्ष को, शंकित हो जब जीत ।
कठिन लक्ष्य को भेदना , करे जीत निर्णीत ।।
सुशील सरना / 30-4-25
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