शब्दों में खोकर कहते तुम
वाह ! यह कविता अच्छी है
या हँसकर कहते..
ओह ! क्या है यह? क्या तू बच्ची है ?
मेरे शब्दों में अपनी छवि
देख तुम इतराते !
नासमझ बनने की कोशिश में
बार बार हार जाते !
इन शब्दों में होता इन्द्रधनुषी रंग
ये शब्द सुर की सरिता में नहाते
या ये शब्द मुस्कान बिखेरते
तुम होते तो ये शब्द कविता बन जाते !
आज पास नहीं हो तुम मेरे
अगर कुछ पास है तो है
कुछ बिखरे शब्द,बिखरी-सी मैं
और इन पन्नो पर कुछ बिखरे मोती !!
Comment
Ganesh ji BAgi and Saurabh ji..der se reply ke liye maaf kare..main nayi hu aur open book me abhi kaafi kuchh samajh nahi aata...reply karne me der ho gayi..aap ko achcha laga..eska bahut bahut dhanyawad
आशीष यादव जी, गणेश जी ,सौरभ जी आपने मेरी कविता पढ़ी और पसंद किया, धन्यवाद
एक सुन्दर रचना, भाव बहुत सुन्दर लगा मुझे|
इन शब्दों में होता इन्द्रधनुषी रंग
ये शब्द सुर की सरिता में नहाते
या ये शब्द मुस्कान बिखेरते
तुम होते तो ये शब्द कविता बन जाते !
कुछ विरह की तरफ इशारा करती दिख रही कविता| एक भावना पूर्ण कविता है|
क्या कुछ खोया, क्या कुछ पाया,
अल्हड़ जीवन की उड़ान की खुशफहमीवाली छाया .. .
//मेरे शब्दों में अपनी छवि
देख तुम इतराते !
नासमझ बनने की कोशिश में
बार बार हार जाते ! //
बहुत सुन्दर दशा-चित्रण !!
अन्वेशा अन्जुश्रीजी, आपकी इस भावनमय रचना को मेरी ढेर सारी शुभकामनाएँ..
Thanks dear..Subhash :)
गर रस्ता बदलना हो तो कुछ मुश्किल नहीं है जाना,
बडा सादा सा ज़ुम्ला है, "सितारे मिल नहीं सकते।
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