ओ बी ओ सदस्य श्री अविनाश बागडे जी की रचना
खुश है जेल तिहाड़ का,मन में है विश्वास.
गृह-मंत्री भी आयेंगे,चलकर उसके पास.
कमल कर रहा कोलाहल,कीचड में है हाथ.
मध्यावधि- चुनाव के रौशन है हालात.
शीर्ष मंत्रियों में मची ऐसी ,काटम -काट.
दस- जनपथ का देखिये .चिंता भरा ललाट.
जप-तप कर के खप गये ,मिला नहीं भगवान
मन-उपवन में झांकते,हो जाता कल्याण.
अविनाश बागडे.
Comment
Sanjay yadav ji,Aashish yadav ji,Bagi ji,Saurabh pande ji, aur Dharam JI....SABKA AABHAR.
shri श्री अविनाश बागडे जी ji, bahut samyik rachna ki hai aapne. bahut sundar shilp ka prayog.
बागडे साहब, सबसे पहले तो ओ बी ओ पर आपका ह्रदय से स्वागत है, राजनीति की गलियारे में पैठ बनाती हुई इस रचना की जितनी भी तारीफ़ किया जाय कम है, बहुत ही करारा तमाचा जड़ा है आपने इस रचना के माध्यम से, तिहाड़ गेस्ट हॉउस में मेहमानों का आना जाना यू ही बना रहा तो वह दिन दूर नहीं जब सरकार विश्व का आदर्श जेल के नाम पर ५ सितारा सुविधा से लैस कर देगी, अंततः तो पोलिटिसियन ओल्ड एज होम ही उन सबको जाना ही होगा |
इस कथ्य प्रधान रचना पर बधाई स्वीकार करे मान्यवर |
सामयिकी को बहुत ही जानदार शब्द मिले हैं, भाई अविनाशजी. विशेषकर आखिरी दोहे ने भरपूर ध्यान खींचा है और संदेशपरक है.
हार्दिक बधाइयाँ. शिल्प पर दिया गया थोड़ा सा ध्यान छंदों को परिष्कृत होने का कारण बन जायेगा. विश्वास है मेरे शब्द आपको और उत्साहित होने का कारण बनेंगे.
प्रयास और प्रविष्टि के लिये बहुत-बहुत बधाइयाँ.
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