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बहुत बढ़िया रचना अभिनव जी .... हार्दिक बधाई ...:)
thanks to ashish ji and satish ji for your comments.aap sabka sneh bana rahe yahi kamna hai .abhaar !!
aadarniy arun sir, bahut hi sarthak kawita ki rachna ki hai aapne. aaj ki hakikat saf saaf dikh jati hai is rachna me.
kitni sahi baat hai. kaisi widambana hai hamare is desh me.
aap ki dhardar lekhni ko mera salaam.
किसी कवि ने कहा भी है: तुम यह मत समझो कि सरकार जो हफ्ते या दो हफ्ते में तुम्हारे घर तक जो सड़क बना रही है, उसपर चलकर तुम शहर जाओगे और शाम तक घर लौट आओगे. यह भी सोचो की इसी सड़क होकर आयेगी सरकारी फौज और तुम्हारा गांव पल भर में जलकर राख हो जायेगा.
जबरदस्त. इतनी अच्छी रचना के लिए साध्ुवाद !
आदरणीय श्री सौरभ जी आपकी इस सटीक - सशक्त टिप्पणी ने कविता को एक प्रकार से संजीवनी बख्शी है | आपकी इस समालोचना को पढ़कर कविता के नए आयाम पाठकों के सामने आते है | यही आपकी समीक्षक की शक्ति है, उसको मेरा सादर नमन है |
आपसे मुलाक़ात होने पर मैंने आपकी भाषा और आपकी लेखन-शक्ति पर चमत्कृत होकर कहा पूछा था कि आपको अपनी कविताओं का संकलन ज़रूर निकलना चाहिए | आप वास्तव में समकालीन हिंदी साहित्य के अमूल्य रत्न हैं और आपको सामने लाना आपका खुद का कर्त्तव्य भी है | और आप समर्थ भी हैं अतः इस ओर अवश्य सोचें | आज दुखद है कि नेट पर सक्रिय हिंदी प्रेमियों को हिंदी साहित्य के कथित समीक्षक लेखक नहीं मानते | आप जैसे लोग इस मिथ को तोड़ सकते है | ओबीओ का इस दिशा में किया जा रहा प्रयास सराहनीय है | धीरे ही यहाँ एक सशक्त साहित्य मंच बन रहा है | पुनः आपको हार्दिक नमन !!
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