For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कविता :- शब्द - दीप !

 कविता :-  शब्द - दीप !

 

एक दीप उस द्वार भी जले

खुला जो रहा कई बरस

रोशनी को जो रहा तरस |

 

एक दीप उन दीवारों पर

जो पपड़ीली रुखड़ी सी हैं

घोर तमस में उखड़ी सी हैं |

 

दीप धरो उस ताखे पर भी

जिस पर माँ की मूरत है

कितनी खूबसूरत है |

 

दीप जलाओ ओसारे में

बाबा जिसमे रहते थे

जुग जुग जीओ कहते थे |

 

दीप जले तुलसी चौरे पर

देती नित आशीष हमें

खुशियों की बख्शीश हमें |

 

एक दिया उस देहरी पर धर

राह तक रहा परदेसी का

दिन लौटे उस घर में ख़ुशी का |

 

एक दिया कवि के चरणों में

जिसकी कृतियाँ  थाती हैं  

सच की राह दिखाती हैं  |

 

दिया एक उन चौबारों पर

जो अतीत की गाथा कहते

वर्तमान की घातें सहते |

 

एक दीप मन के मंदिर में

क्लेश द्वेष सब दूर करे

नेह छोह के भाव भरे |

 

 -  अभिनव अरुण {23102011}

 

 

 

Views: 522

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Abhinav Arun on December 31, 2011 at 12:51pm
Shashi ji rachna pasand karne liye Hardik Abhaar !
Comment by shashiprakash saini on December 31, 2011 at 12:44pm

//दीप जलाओ ओसारे में

बाबा जिसमे रहते थे

जुग जुग जीओ कहते थे |//

 आपकी ये रचना दिल को छु गयी अभिनव जी 

Comment by Abhinav Arun on November 8, 2011 at 1:20pm

Apki utsaahvarddhak tippani ke liye abhaar shri Saurabh ji !! " ek diya aap jaise sameekshakon aur sahityik jano ke samman men bhi "


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 7, 2011 at 4:48pm

//दिया एक उन चौबारों पर

जो अतीत की गाथा कहते

वर्तमान की घातें सहते |//

सकारात्मक और उदार इच्छाओं का समुच्चय मनोहारी है.

बधाई.

Comment by Er. Ambarish Srivastava on November 2, 2011 at 11:26pm

स्वागत है मित्र अभिनव जी !

Comment by Abhinav Arun on November 2, 2011 at 7:36pm
Hardik abhaar Ambarish ji apke snehsikt udgaar ke liye.
Comment by Er. Ambarish Srivastava on November 1, 2011 at 11:35pm

//एक दिया कवि के चरणों में

जिसकी कृतियाँ  की थाती हैं  

सच की राह दिखाती हैं  |

 

दिया एक उन चौबारों पर

जो अतीत की गाथा कहते

वर्तमान की घातें सहते |//

आदरणीय अरुण जी ! जिसे लोग विस्मृत कर बैठे हैं उसे भी आपकी इस रचना नें मान दिया है ! इस सार्थक सृजन हेतु आपको हार्दिक बधाई मित्रवर !

Comment by Abhinav Arun on October 31, 2011 at 12:47pm

thanks dushyant ji aapne is rachna ko padha aur tippani di abhaar aapka . aisi rachnao ke pathak aaj kam hain .jeevan kee bhaag daud men sahity vastav me hashiye par hai but thanks to OBO for this good apportunity .

Comment by दुष्यंत सेवक on October 31, 2011 at 11:47am

वाह वाह अरुण जी, दीपावली पर इससे बेहतर कामना क्या हो सकती है की उन हिस्सों को रोशन किया जाए जहाँ रोशनी को रास्ता न मिला हो, आपकी पंक्तियाँ यथार्थ रूप ले इन्ही कामनाओं के साथ दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें पूरे सेवक परिवार की ओर से

Comment by Abhinav Arun on October 30, 2011 at 1:49pm
एक दीप जला ...शायद उसकी रोशनी जहां तक पहुंचनी चाहिए थी वहाँ तक नहीं पहुंची ....पर ये दीप फिर जलेगा ...हर शाम रात से करने को दो - हाथ  ..

जब तक है अँधेरे का अंदेशा !! HAPPY FESTIVITY !!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
yesterday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Saturday
PHOOL SINGH added a discussion to the group धार्मिक साहित्य
Thumbnail

महर्षि वाल्मीकि

महर्षि वाल्मीकिमहर्षि वाल्मीकि का जन्ममहर्षि वाल्मीकि के जन्म के बारे में बहुत भ्रांतियाँ मिलती है…See More
Wednesday
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी

२१२२ २१२२ग़मज़दा आँखों का पानीबोलता है बे-ज़बानीमार ही डालेगी हमकोआज उनकी सरगिरानीआपकी हर बात…See More
Wednesday
Chetan Prakash commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"आदाब,  समर कबीर साहब ! ओ.बी.ओ की सालगिरह पर , आपकी ग़ज़ल-प्रस्तुति, आदरणीय ,  मंच के…"
Apr 10
Ashok Kumar Raktale commented on Ashok Kumar Raktale's blog post कैसे खैर मनाएँ
"आदरणीय सुशील सरना साहब सादर, प्रस्तूत रचना पर उत्साहवर्धन के लिये आपका बहुत-बहुत आभार। सादर "
Apr 9

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service