ये कैसा व्यापार हुआ,
दुश्मन सारा बाज़ार हुआ |
दिल लेकर दिल दे बैठे तो,
क्यूँ जग में हाहाकार हुआ|
इश्क़ अजब ही नदी है साहिब
यहाँ जो डूबा सो पार हुआ|
दीदों को न भाया तब से कुछ
जब से उनका दीदार हुआ|
अब दवा इश्क़ की कौन करे
है हर कोई बीमार हुआ |
पहले था काम का "विक्रम" भी
जो इश्क़ मे है बेकार हुआ|
Comment
यह कैसा व्यापार हुआ,
२ २ २ २ / २ १ १ २
दुश्मन अब बाज़ार हुआ |
२ २ २ २ / २ १ १ २
आचार्य जी की टिप्पणी के आलोक में मैंने मतले को ठीक करने का प्रयास किया है, तदनुपरांत बहर २२२२ २११२ को आधार मान कर आगे के शेरों को कसा जा सकता है |
विक्रम जी, बहुत ही बढ़िया प्रयास है, एक अच्छी ग़ज़ल कहने की ओर आप प्रयासरत है बहर का ध्यान रखे, गुणी जनों की बातों को मनन करे , आप अच्छा कर सकते है |
वैसे आदमी इश्क में बेकाम भी हो जाता है :-)))))))))))
बधाई स्वीकार करे विक्रम जी |
आत्मीय,
आपकी रचना की पंक्तियों का पदभार देखें:
ये कैसा व्यापार हुआ,
२ २ २ २ २ १ १ २ = १४
दुश्मन सारा बाज़ार हुआ |
२ १ १ २ २ २ २ १ १ २ = १६
दिल लेकर दिल दे बैठे तो,
१ १ २ १ १ १ १ २ २ २ २ = १६
क्यूँ जग में हाहाकार हुआ|
२ १ १ २ २ २ २ १ १ २ = १६
इश्क़ अजब ही नदी है साहिब
२ १ १ १ १ २ १ २ २ २ १ १ = १७
यहाँ जो डूबा सो पार हुआ|
१ १ २ २ २ २ २ १ १ २ = १६
दीदों को न भाया तब से कुछ
२ २ २ १ २ २ १ १ २ १ १ = १७
जब से उनका दीदार हुआ|
१ १ २ १ १ २ २ २ १ १ २ = १६
अब दवा इश्क़ की कौन करे
१ १ १ २ २ १ २ २ १ १ २ = १६
है हर कोई बीमार हुआ |
१ १ १ २ २ २ २ १ १ २ = १५
पहले था काम का "विक्रम" भी
१ १ २ २ २ १ २ २ १ १ २ = १७
जो इश्क़ मे है बेकार हुआ|
२ २ १ २ २ २ २ १ १ २ = १७
मुझे लगता है कि इन्हें गिनकर या गुनगुनाकर संतुलित कर सकें तो रचना अधिक अच्छी होगी. 'ये' बहुवचन, व्यापार एकवचन - यह एक काव्य दोष है. दोनों का समान वचन होना चाहिए. हिंदी शब्द कोष के अनुसार 'क्यों' शुद्ध है 'क्यूं' अशुद्ध. इश्क के पहले 'काम का' था तो उसका विरुद्धार्थी 'बेकाम' होगा. काम-काजी व्यक्ति इश्क होने पर बेकाम क्यों होगा? तमाम लोग इश्क में मुब्तिला होते हुए भी काम तो करते ही हैं. अन्यथा न लें... यह आपके विचार के लिए लिखा ही जिससे आप बेहतर रच सकें...
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online