For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सूद पहले फिर असल दो

इक मुहब्बत की ग़ज़ल दो

जो परिन्दे छत पे आयें

उनको दाने और जल दो

शक्ल वैसी ही रहेगी

आईना चाहे बदल दो

धर्मशाला है ये दुनिया

रात काटो और चल दो

ये बदन कल तक नया था

अब पुराना है बदल दो

तुम सवेरे-शाम आओ

मेरे जीवन में खलल दो

......दीपक कुमार

Views: 666

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by दीपक कुमार on January 24, 2012 at 7:13pm

Raj Lally Sharma ji bahut bahut shukriya !!

Comment by राज लाली बटाला on January 23, 2012 at 10:01pm

Bahut khoob !! Chhoti behar ka kamal !! 

Comment by दीपक कुमार on January 22, 2012 at 10:19am

aadarniya  Shri Saurabh Pandey ji.. aabhaar..!!

Comment by दीपक कुमार on January 22, 2012 at 10:17am

deepak kumar ji ko deepak kumar ka.. aadaab !! kubool karein.

Comment by दीपक कुमार on January 22, 2012 at 10:13am

...aur jab ho jata hai... to teen dinon tak uski khumari nahin jati. shukriya वीनस केशरी bhai..!!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 17, 2012 at 11:51pm

बहुत खूब .. बधाई इस बेहतर कोशिश पर. 

Comment by Deepak Kumar on January 17, 2012 at 5:05pm

 Deepak G. Aap ki Gazal dil ko chhu gayi hai.  Bahut khub

Comment by वीनस केसरी on January 15, 2012 at 8:46pm

धर्मशाला है ये दुनिया

रात काटो और चल दो

ऐसा शेर बार बार नहीं होता, और होता है तो बस हो जाता है ...
उम्दा शेर कहा है दीपक जी
हार्दिक बधाई

Comment by दीपक कुमार on January 13, 2012 at 8:18pm

नीरज भाई, शशिप्रकाश सैनी जी और आदरणीय योगराज प्रभाकर जी, आप सबों को मेरी ग़ज़ल पसंद आई, जानकार बहुत ख़ुशी हुई, बहुत सुकून भी मिला. इतनी सुन्दर टिप्पणियों के लिए आप सबों का आभारी हूँ. आप सबों को बहुत बहुत धन्यवाद !!


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on January 13, 2012 at 11:39am

वाह वाह वाह - छोटी बहर में बहुत बुलंद पाये की ग़ज़ल कही है दीपक जी, हार्दिक बधाई.  

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी _____ निवृत सेवा से हुए अब निराली नौकरी,बाऊजी को चैन से न बैठने दें पोतियाँ माँगतीं…"
48 minutes ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी * दादा जी  के संग  तो उमंग  और   खुशियाँ  हैं, किस्से…"
11 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी छंद ++++++++++++++++++   देवों की है कर्म भूमि, भारत है धर्म भूमि, शिक्षा अपनी…"
23 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post रोला छंद. . . .
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आदरणीय जी सृजन पर आपके मार्गदर्शन का दिल से आभार । सर आपसे अनुरोध है कि जिन भरती शब्दों का आपने…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को मान देने एवं समीक्षा का दिल से आभार । मार्गदर्शन का दिल से…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Tuesday
Admin posted discussions
Monday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"बंधुवर सुशील सरना, नमस्कार! 'श्याम' के दोहराव से बचा सकता था, शेष कहूँ तो भाव-प्रकाशन की…"
Monday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"बंधुवर, नमस्कार ! क्षमा करें, आप ओ बी ओ पर वरिष्ठ रचनाकार हैं, किंतु मेरी व्यक्तिगत रूप से आपसे…"
Monday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service