For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मुक्तक
--------------

हांथों में ले कर ज़ाम रात भर,
बहकते रहे बे-लगाम रात भर,
लतीफ़े उछलते रहे मुशायरे में,
रोये गालिब खैय्याम रात भर ॥१॥

उपहास को विश्वास मिल गया,
कु-हास को अट्टहास मिल गया,
लतीफ़ों की मंथरा खुश हो गई,
कविता को वनवास मिल गया ॥२॥

कौवों को मधु-मास मत दीजिये,
कोयल को सन्यास मत दीजिये,
चुटकुलो को बिठाके सिंहासन पे,
कविता को वनवास मत दीजिये ॥३॥

गांव की गोरी ने पनघट बदला होगा,
या चांद चकोरी ने घूंघट बदला होगा,
कविता लिखना कॊई छॊटी बात नहीं,
मैना नॆं पिंजड़े मॆं करवट बदला हॊगा ॥४

Views: 577

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 14, 2012 at 9:21pm

चारों मुक्तक मंचीय आयोजनों के सच को बयां कर रहे है, चुटकुलों के आगे कविता दम तोड़ती नजर आती है जबकि भौड़े और दुअर्थी चुटकुलों को श्रोता पसंद कर रहे है, यहाँ तक की नामी गिरामी वरिष्ट साहित्यकारों को हुटिंग का सामना करना पड़ जाता है, बहुत ही उम्दा मुक्तक , बधाई कविराज |

Comment by Abhinav Arun on January 13, 2012 at 8:57pm

अच्छे मुक्तक ! पसंद आया kavi जी आपका ये अंदाज़ भी | हार्दिक बधाई !!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 13, 2012 at 8:11pm

मुक्तक की ऊँचाइयों और इनसे निस्सृत होती गंभीरता पर आपको हार्दिक धन्यवाद, राजबुन्देली जी.

हाँ, एक बात, भाई शुभ्रांशुजी के सुझावों पर अवश्य ध्यान देंगे.  उनकी बात चौथे मुक्तक की चौथी पंक्ति में मैना और करवट के लिये  उचित है.

 

शुभ्रांशुजी से निवेदन :  कारक ’ने’ के कारण क्रिया कर्त्ता के अनुसार नहीं होगी. इस लिहाज से पनघट और घूँघट पुल्लिंग होते हैं.

 

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on January 13, 2012 at 7:47pm

आप,,,,सब को प्रणाम,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on January 13, 2012 at 11:22am

बहुत ही सुन्दर मुक्तक, आदरणीय बुन्देली साहिब साधुवाद स्वीकारें. 

Comment by Shubhranshu Pandey on January 13, 2012 at 10:00am

सभी मुक्तक एक से एक हैं और कितने अर्थ भरे हैं. वास्तविकता को मुक्तक में पिरो कर आपने कहा है. 

आखिरी मुक्तक में व्याकरण का लिंग दोष समझ में आ रहा है. चांद चकोरी और मैना स्त्रीलिंग माने जाते हैं. तो उन पंक्तियों की क्रिया स्त्रीलिंग सूचक होगी.  कृपया मेरा मार्गदर्शन कीजिये. 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
23 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Monday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Sunday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service