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मत पूंछियॆ,,,,,,,,,,
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मतलब की बात करियॆ, बेकार का हाल मत पूछियॆ ॥
जैसी भी है अपनी है, सरकार का हाल मत पूछियॆ ॥१॥

लहराती है नैया, सरकार की तॊ लहरानॆ दीजियॆ,
आप माझी सॆ मगर,पतवार का हाल मत पूछियॆ ॥२॥

चिल्लातॆ चिल्लातॆ अन्ना की तबियत तंग हुई,
अपनॆ भारत मॆं, भ्रष्टाचार का हाल मत पूछियॆ ॥।३॥

सारॆ नॆताऒं नॆ यॆ कहा, था स्वामी रामदॆव सॆ,
बाबा जी बस स्विस, भंडार का हाल मत पूछियॆ ॥४॥

बस बकरॆ की तरह चुपचाप गर्दन झुकायॆ रहियॆ,
कातिल सॆ तलवार, की धार का हाल मत पूछियॆ ॥।५॥

तुम्हारॆ बच्चॆ भूखॆ-नंगॆ, मरॆं तॊ उनकी बला सॆ,
उनसॆ तॊ मंहगाई की मार का हाल मत पूछियॆ ॥६॥

कितना सीधा है बॆचारा, कभी कुछ बॊलता नहीं,
टूट जायॆगा भजन,सरदार का हाल मत पूछियॆ ॥७॥

कब किसनॆ कितनॆ कियॆ,घॊटालॆ यहां पर "राज",
पढ़ लीजियॆ मगर, अखबार का हाल मत पूछियॆ ॥८॥

कवि-राजबुंदॆली
०९/०१/२०१२

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Comment

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मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 14, 2012 at 9:30pm

खुबसूरत ग़ज़ल कही है कविराज , मतला में करो के साथ पूछिये खटक रहा है, मेरे ख्याल से यदि "करो" का प्रयोग हो रहा है तो "पूछो" ठीक होगा अन्यथा पूछिये हेतु कीजिये या करिए का प्रयोग उचित लगता है,

कहन बुलंद है सम सामयिक घटनाओं पर बढ़िया पकड़ है, बधाई स्वीकार कीजिये इस प्रस्तुति पर |


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 13, 2012 at 8:25pm

प्रविष्टि हेतु हार्दिक धन्यवाद.  आपकी संलग्नता उत्साह का कारण बनी है.

 

पूछिये के पू में अनुस्वार लगा कर आपने पूंछिये क्यों किया है?  आप साझा कर मुझे अनुगृहित करेंगे., ऐसा विश्वास है.  

 

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on January 13, 2012 at 7:48pm

योगराज जी प्रणाम,,,,,,,,,,,,,,,,,


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on January 13, 2012 at 11:22am

बहुत खूब

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