बीत गए बरस तिरसठ
Comment
bahut bahut abhar Saurabh ji aur Ganesh ji.
shukria Aasheesh ji
bilkul sahi kah rahi hain seema ji.
dhanyavaad Sanjay ji.
dhanyavaad Shanno ji ,Saurabh ji ,Ganesh jee.
देश की हकीकत पर बढ़िया रचना. बधाई.
सुन्न हो गई ठण्ड से काया
थर थर काँपे रंक की छाती
शाल ओढ़ कर शान से बैठे
देखो पत्थर के हाथी
अब तो राम बचावे !!
भाई, वाकई अब तो राम बचावे !... .. हा हा हा.. बहुत खूब !!
वाह वाह वाह, इसे कहते है धो कर निचोड़ देना वो भी बगैर साबुन के, बहुत ही खुबसूरत और सामयिक रचना है, बधाई आपको |
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