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निगल रहा...आदमी को आदमी...अजगर सा ...आदरणीय आशा जी वैसे तो हाइकू एक जापानी काव्य विधा है और अभिवयक्ति के हिसाब से २०/२० जैसा ही है किन्तु शेक्सपीयर के अनुसार संक्षिप्तता ही काव्य की आत्मा है ..और मुझे भी यह ठीक ही जान पड़ता है ....सतसैया के दोहरे ज्यों नाविक के तीर की तरह आपकी हृदयस्पर्शी हाइकू पर मैं क्या ..बस सुन्दर,सुन्दर,सुन्दर भाई|
आदरणीय आशा जी प्रणाम
बहुत ही शानदार............. लाख पहरे, खोल कर खिड़की , उड़ा परिंदा
हार्दिक बधाई
आदरणीया आशाजी, आपके सद्-प्रयास से हाइकू विधा की सभी प्रविष्टियाँ उच्च श्रेणी की हैं.
सादर बधाइयाँ
अति सुन्दर और प्रभावपूर्ण हाइकू आदरणीया आशा जी हार्दिक बधाई आपको !!
बहुत बढिया
दार्शनिक है हाइकु
मंदिर द्वारे
बहुत ही सुन्दर और शिल्प पर खरे हाइकु , बधाई आशा दी |
aap sabhi ka hardik dhnywaad
३ निगल रहा
laajabaab haiku Aasha ji.
//निगल रहा
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