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सरहद पर जाते वक्त

सरहद पर जाते वक्त 

वो  जो नज़र झुका कर कहा तुमने 
प्रिया! लौट कर न आ पाऊं  शायद
फिर से तेरी बांहों में 
जम्भूमि के कर्ज  चुकाने हैं 
नहीं निभा पाउँगा तुम्हारे प्रति अपना फर्ज 
हो सके तो माफ़ कर देना मुझे 
सच कंहूँ तो  तेरी इस शपथ  से  
डबडबाये   जरुर थे मेरे नयन  
पर यकीं कर  साथी 
मेरा माथा गर्व से तन गया था उस वक्त 
कितनी खुश नसीब होती हैं 
वो पत्नियाँ  ,वो प्रेमिकाएं 
जिनके पति ,प्रेमी 
देश-प्रेम में मिट जाते हैं 
 
--आशा  पाण्डेय ओझा 

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Comment by asha pandey ojha on March 9, 2013 at 10:06pm

Priya Vedika kotish dhnywaad aapko

Comment by asha pandey ojha on March 9, 2013 at 10:06pm

Aadrniy कमलकिशोर भागिरथजी अग्रवाल sir hardik aabhar aapka aapki amulya prtikriya ke liye

Comment by वेदिका on March 6, 2013 at 11:48pm

बहुत सजल रचना है, वीरता और वियोग के सम्मिश्रण से ओतप्रोत ...

जम्भूमि के कर्ज  चुकाने हैं 
नहीं निभा पाउँगा तुम्हारे प्रति अपना फर्ज


शुभकामना आदरणीया आशा जी !
सादर वेदिका

Comment by कमलकिशोर भागिरथजी अग्रवाल on March 6, 2013 at 11:12pm

आशाजी नमस्कार! आपकी रचना पढने को मीली ! कीतने सहज भावसे आपने एक सैनिक का प्रेम तथा देशप्रेम दोनो को दर्षाया! यह क़ाबिले तारीफ है ! 

Comment by asha pandey ojha on March 6, 2013 at 5:44pm

Aadrniy  Laxman Prasad Ladiwala ji aapka kotish dhnywaad ukt rachna par aapki bahumulya prtikriya ke liye .. punh saadr aabhar

Comment by asha pandey ojha on March 6, 2013 at 5:43pm

Aadrniya Vijay Nikor ji sir saadr dhnywaad aapka is Rachna ko padh kar apni beshkimtee prtikriya zahir kar mera housla badhane hetu . aabhar

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 6, 2013 at 2:59pm

सैनिक जो राष्ट्र की रक्षा में अपना सर्वस्व अर्पित कर देते है, उनकी गृहणिया का त्याग भी किसीतरह कम नहीं है | 

एक और सुंदर रचना के लिए हार्दिक बधाई 

Comment by vijay nikore on March 6, 2013 at 2:22pm

आदरणीया आशा जी:

 

मेरा सौभाग्य है कि आज अचानक आपके बलाग पर मुझको

आपकी २०१२ की यह इतनी अच्छी कविता पढ़ने को मिली।

गर्व है सैनिकों पर, उनके परिवार पर, और आपकी इस कविता पर!

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by asha pandey ojha on February 20, 2012 at 7:09pm

@ Neerajji @ Arun Kumar Pandey 'Abhinav' bhiya @Saurabh Pandey ji sir @ Ganesh Jee "Bagi bhiya @AVINASH S BAGDE  ji sir @rajesh kumariji aap sabhi ka hardik dhnywaad meree is rachna par apni bahumulya prtikriya vykt karne ke liye 

Comment by Abhinav Arun on February 17, 2012 at 7:56pm
Hriday ke udgaar Jis sashakt kavy roop me apne ukere hain wah bhaav anupam hai Asha di.ek jevant Zindabaad aur hausle ki rachna.Salaam apko apki lekhni ko.

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