For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ज़िंदगी क्या है..


मैं तुझको आज बताता हूं, के कमी क्या है,
तू मुझको आज ये बता, के ज़िंदगी क्या है..

ये ऊंच-नींच, जात-पात, ये मज़हब क्यूँ हैं,
ये रंग-देश, बोल-चाल, बंटे सब क्यूँ हैं,
तू-ही हर चीज़, तो फिर पाक़-ओ-गंदगी क्या है..

किसी पत्थर को पूज-पूज, नाचना-गाना,
सुबह-ओ-शाम, तेरा नाम, लेके चिल्लाना,
तेरा यकीं या ढोंग, तेरी बंदगी क्या है..

किसी को देके चैन, दर्द में सुकूं पाना,
किसी को देके दर्द, ज़ुल्म करके मुस्काना,
हंसी अपनी या तड़प ग़ैर की, खुशी क्या है..

कोई दरिया लिए दिल में है, मग़र हंसता है,
कोई देता है दहाड़ें, तो होंठ कसता है,
निरा बाज़ार नकल्लों का है, असली क्या है..

सिवा इंसान, मारे उतना जितना खा पाए,
यही बस एक, जितना खाए, भूख बढ़ जाए,
ना जाने कौन जानवर है, आदमी क्या है..

कोई नख़रे में हो नाराज़, और ना बात करे,
कोई क़ाबिल, किसी मजबूर का ना साथ करे,
है बेबसी या गुनाह, या है बेरुखी, क्या है..

जिसे नदिया मिली बहती, वो चाहे दरिया को,
जिसे इक बूंद नहीं, ताके वो गगरिया को,
है दुआ कौन खरी, सच्ची तिश्नगी क्या है..

किसी को दिल में बसा लेना, उम्र भर के लिए,
किसी नए का साथ, हर नए सफ़र के लिए,
है बला क्या ये इश्क़, और-ये दिल्लगी क्या है..

मैं तुझको कब तलक गिनाऊं, के कमी क्या है,
तू मुझको अब तो ये बता, के ज़िंदगी क्या है..

**********************************************
एक मक़ता इस नज़्म से अलग, पर इसी क़ाफ़िए पर:

"कोई शायर है, या पागल है, दिवाना है कोई,
ये जिसका नाम है 'घायल', ये वाक़ई क्या है.."
**********************************************

Views: 445

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Aditya Singh on March 5, 2012 at 8:27pm

Sabhi ka bahut bahut shukriya.. mujhe behad khushi hai ki aap sab ko meri rachna pasand aai :)

Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on March 3, 2012 at 12:30pm

कोई दरिया लिए दिल में है, मग़र हंसता है,
कोई देता है दहाड़ें, तो होंठ कसता है,
निरा बाज़ार नकल्लों का है, असली क्या है..

सुंदर प्रस्तुतिकरण के लिए बधाई स्वीकार करें 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 2, 2012 at 10:47pm

सुन्दर प्रस्तुतिकरण .. . बधाई.

Comment by राकेश त्रिपाठी 'बस्तीवी' on March 2, 2012 at 12:52pm

bahut khub Aditya ji, sadar badhai.

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on March 2, 2012 at 12:07pm

सवालों पर आधारित आपकी यह नज़्म वास्तव में प्रशंसनीय है| साभार,


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 2, 2012 at 11:39am

जिसे नदिया मिली बहती, वो चाहे दरिया को,
जिसे इक बूंद नहीं, ताके वो गगरिया को,
है दुआ कौन खरी, सच्ची तिश्नगी क्या है..vaah...vaah har ek sher kabile daad hai badhaai kabool kijiye.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on March 2, 2012 at 10:14am

किसी को देके चैन, दर्द में सुकूं पाना,
किसी को देके दर्द, ज़ुल्म करके मुस्काना,
हंसी अपनी या तड़प ग़ैर की, खुशी क्या है..

वाह वाह, सवालों के सायें में कही गई यह नज्म बहुत ही सुन्दर है, कहन भी बेहतरीन है, मन में उमड़ते घुमड़ते हुयें सवालों को आपने जुबान दे दिया है, बहुत बहुत बधाई इस अभिव्यक्ति पर |

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 1, 2012 at 10:54pm

किसी पत्थर को पूज-पूज, नाचना-गाना,
सुबह-ओ-शाम, तेरा नाम, लेके चिल्लाना,
तेरा यकीं या ढोंग, तेरी बंदगी क्या है..

bahut sundar bhav evam prastutikaran. kushwaha 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"आदरणीय सौरभ जी आपके ज्ञान प्रकाश से मेरा सृजन समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी"
9 hours ago
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
13 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 182 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का…See More
13 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

गजल - सीसा टूटल रउआ पाछा // --सौरभ

२२ २२ २२ २२  आपन पहिले नाता पाछानाहक गइनीं उनका पाछा  का दइबा का आङन मीलल राहू-केतू आगा-पाछा  कवना…See More
14 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"सुझावों को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय सुशील सरना जी.  पहला पद अब सच में बेहतर हो…"
14 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . .

 धोते -धोते पाप को, थकी गंग की धार । कैसे होगा जीव का, इस जग में उद्धार । इस जग में उद्धार , धर्म…See More
20 hours ago
Aazi Tamaam commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"एकदम अलग अंदाज़ में धामी सर कमाल की रचना हुई है बहुत ख़ूब बधाई बस महल को तिजोरी रहा खोल सिक्के लाइन…"
yesterday
surender insan posted a blog post

जो समझता रहा कि है रब वो।

2122 1212 221देख लो महज़ ख़ाक है अब वो। जो समझता रहा कि है रब वो।।2हो जरूरत तो खोलता लब वो। बात करता…See More
yesterday
surender insan commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। अलग ही रदीफ़ पर शानदार मतले के साथ बेहतरीन गजल हुई है।  बधाई…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को मान देने तथा अपने अमूल्य सुझाव से मार्गदर्शन के लिए हार्दिक…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"गंगा-स्नान की मूल अवधारणा को सस्वर करती कुण्डलिया छंद में निबद्ध रचना के लिए हार्दिक बधाई, आदरणीय…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . .

 धोते -धोते पाप को, थकी गंग की धार । कैसे होगा जीव का, इस जग में उद्धार । इस जग में उद्धार , धर्म…See More
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service