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 खुद बेवफा

 दूसरों से चाहते

 करें वो वफा |

                         

 सच कहा तो

 तमाम दोस्त मेरे

 हो गए खफा |


कपटी हम

ऐसे में क्यों न होगा

नाराज खुदा |

                               

न्याय करना

चाहिए था जिनको

करते जफा |

                    

सत्ता पाते ही

दिखाने लगे नेता

नखरे-अदा |

                            

खोटे सिक्के हैं

बाजारे-दुनिया मे

ये प्यार-वफा |

 

  * * * * *

       --------- दिलबाग विर्क 

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Comment

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Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on March 3, 2012 at 1:12pm

आदरणीय दिलबाग जी सुन्दर प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई|

Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on March 3, 2012 at 12:02pm

 खुद बेवफा

 दूसरों से चाहते

 करें वो वफा |

बहुत ही सुंदर कृतित्व  बधाई स्वीकार करें 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 3, 2012 at 11:33am

sundar prastuti, badhai,


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on March 3, 2012 at 11:01am

हाइकु छंद में गीत कहने का बहुत ही सुन्दर प्रयास, बधाई स्वीकार करें आदरणीय दिलबाग विर्क जी.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 3, 2012 at 9:37am

samayik haaiku bahut achche

Comment by Nazeel on March 3, 2012 at 8:44am
Nice 1

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