For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")





भारत सदैव 
आजाद था
आजाद है 
आजाद रहेगा 
 गुलामी और आजादी
 का कैसे भान हो 
शासक कोई, शासन कोई 
चाहें जो सरकार हो 
जब मानसिकता विकलांग हो 
भारत कभी जकड़ा नहीं 
गुलामी की जंजीर में 
देखने का दोष जो 
सदा रहा तक़दीर में 
लाख लिखने वालों ने
लिखा हो तहरीर में 
भारत था आजाद 
आज भी आजाद है
दुर्दशा का कारण स्वयं 
दोष देते आन का 
चाहिए कन्धा सदैव 
ध्यान नहीं मान का 
 
एक   दूसरे से नाराज हैं 
करते स्वयं कुछ भी नहीं 
सोचते विचारते हैं बहुत 
गलत सही का भान नहीं 
 
बदलती सत्ता पे चाहें 
जश्न  जितना  मना  लो
बदलोगे नहीं आप को 
तो कुछ नहीं पाओगे 
जैसे रहे तुम सदा  
वैसे ही रह जाओगे  

Views: 484

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 8, 2012 at 9:53pm

आदरणीय अविनाश बागड़े  जी, शुभ होली. पसंद आया  आभार 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 8, 2012 at 9:50pm

आदरणीय त्रिपाठी जी, शुभ होली. आप को आंनद मिला मुझे संतोष हुआ. आभार 

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on March 8, 2012 at 9:12pm
वेरी गुड्ड रचना है हुजूर,
सदके जावां
Comment by AVINASH S BAGDE on March 8, 2012 at 7:59pm

 

बदलती सत्ता पे चाहें 
जश्न  जितना  मना  लो
बदलोगे नहीं आप को 
तो कुछ नहीं पाओगे ...nice one Pradeep ji.
Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 6, 2012 at 9:30pm

धन्यवाद , आदरणीय हरीश जी, प्रयास किया है. 

Comment by Harish Bhatt on March 6, 2012 at 2:20am

आदरणीय प्रदीप जी सादर प्रणाम

सच्‍चाई बयां करती कविता के लिए हार्दिक बधाई,

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 5, 2012 at 10:02pm

आदरणीया नीरजा जी, सादर अभिवादन. आपको सपरिवार होली की बहुत बहुत शुभ कामनाएं 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 5, 2012 at 9:11pm

aadarniya vahid bhai ji, abhar to aapka hai, koyle ko bhi hira bana dete hain. saparivar holi ki shubh kamnayen

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 5, 2012 at 9:09pm

dhanyavaad mahima shree ,

saparivar holi ki shubh kamnayen

Comment by MAHIMA SHREE on March 5, 2012 at 8:56pm
बदलती सत्ता पे चाहें 
जश्न  जितना  मना  लो
बदलोगे नहीं आप को 
तो कुछ नहीं पाओगे 
जैसे रहे तुम सदा  
वैसे ही रह जाओगे
 
AAdarniy Sir Pranam......satya vachan  jab tak hum nahi badlege....kitani bhi satta badale kuch nahi balena wala......

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
6 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
6 hours ago
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई, बह्र भी दी जानी चाहिए थी। ' बेदम' काफ़िया , शे'र ( 6 ) और  (…"
17 hours ago
Chetan Prakash commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"अध्ययन करने के पश्चात स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है, उद्देश्य को प्राप्त कर ने में यद्यपि लेखक सफल…"
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
Saturday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत सुंदर ग़ज़ल ... सभी अशआर अच्छे हैं और रदीफ़ भी बेहद सुंदर  बधाई सृजन पर "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। सार्थक टिप्पणियों से भी बहुत कुछ जानने सीखने को…"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गीत का प्रयास अच्छा हुआ है। पर भाई रवि जी की बातों से सहमत हूँ।…"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

अच्छा लगता है गम को तन्हाई मेंमिलना आकर तू हमको तन्हाई में।१।*दीप तले क्यों बैठ गया साथी आकर क्या…See More
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। यह रदीफ कई महीनो से दिमाग…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service