शस्य श्यामला धरती अपनी
भाल हिमालय मुकुट श्रंगार है
झर झर झरते झरने मही पर
कल कल बहती नदियों की बहार है
ये भारत देश हमार है
कई सम्प्रदायों से बसी ये धरती
पर करते आपस में प्यार है
भाषा बदले भूषा बदले
आपस में न कोई तकरार है
ये भारत देश हमार है
मानव धर्म सबसे हसीं
इंसानियत का व्यवहार है
होली हो या ईद दीवाली
पर्व दशहरा सबका ये त्यौहार है
ये भारत देश हमार है
Comment
aadarniya seema gi, sadar abhivadan.
hamara desh hi kuch aesa hai. aaoka sneh prapt hua abhar.
snehi mahima ji. main sampurn bharat dekhta hoon. log rajyon ki baat karte hain. vande matram.
snehi anand ji, shubhashish. vande matram.
aadarniya saurabh mahoday ji. aapke hastakshar prapt hue. safal hua. samarthan ke liye abhar.
aadarniya mahodaya , saadar abhivadan, lalkar lalkaar kise lalkar . janta ka haal to dekh liya. aapke sath ham hamesha hain taiyar. aapka abhar.
snehi minu ji. shubhashish. sarahna ke liye dhanyvaad.
aadarniya ashvani. ji. vande matram. dhanyvad.
snehi santosh ji, sadar. vande matram.
snehi vahid, ji, aapne saraha. safal hua. dhanyvad.
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