राष्ट्र धर्म राष्ट्र चेतना
की सुधि किन्हें कब आती है
घर की देहरी पर चुपके से वो
जलते दीपक को आँचल उढ़ाती है
कुछ करते नमन शहीदों को
कुछ घर में ही रह जाते हैं
भूले भटके यदा कदा
वीरों के गीत सुनाते हैं
करते रक्षा देश की जो
देते अपनी कुर्बानी
बहाते लहू जिनके लिए
भूल अपनी जवानी
टूटे सपने बुनते अपने
घुट घुट कर मर जाते हैं
सूनी गोद उजड़ी मांग
रक्षा बंधन कैसे मनाते हैं
होली मनाते दीवाली मनाते
दुनिया का हर पर्व मनाते हो
मनाते जैसा प्रेम दिवस
शहीद दिवस मनाते हो ?
Comment
adarniya singh sahab ji, sadar abivadan. sarahna hetu abhar, dhanyvad.
आदरणीय श्री कुशवाहा जी, सादर अभिवादन!
शहीदों के प्रति आपके अनूठे प्रेम को मेरा हार्दिक नमन.
aadarniya seema ji, sadar abhivadan. desh ki vartman sthiti ko dekhakar man khinn hai. aapka samarthan prapt hua asha hai ki aap mashal ko prajjvlit rakhengi. dhanyvad.
aadarniya shahi ji, sadar abhivadan
aapka sabal sneh aur aashirvad hi double hone ka karan hai. khed vyakt karke mujhe sharminda na kijiye. badhai apko hi hai.
aadarniy aashish ji. samarthan hetu dhayvaad. vande matram.
मनाते जैसा प्रेम दिवस
शहीद दिवस मनाते हो ?
एक आंगारिक प्रश्न रखा आपने।
सच मे यह सोचनीय है, आखिर हम कैसे भूल जातें है शहीदों को।
एक सार्थक रचना के लिए बधाई
snehi sandip ji aapki tippani bhi avisvamarniya hai. dhayvad
dhanyvad, arun mahoday ji, sadar vande matram
snehi mahima ji, vandematram.
snehi asvani ji, dhanyvad. vande matram
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