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प्रेम दिवस -शहीद दिवस

राष्ट्र धर्म राष्ट्र  चेतना

की सुधि किन्हें कब आती है

घर की देहरी पर चुपके से वो

जलते दीपक को आँचल उढ़ाती है

 

कुछ करते नमन शहीदों को

कुछ घर में ही रह जाते हैं

भूले भटके यदा कदा

वीरों के गीत सुनाते हैं

 

करते रक्षा देश की जो

देते अपनी कुर्बानी

बहाते लहू जिनके लिए

भूल  अपनी जवानी

 

टूटे सपने बुनते अपने

घुट घुट कर मर जाते हैं

सूनी गोद उजड़ी मांग

रक्षा बंधन कैसे मनाते हैं

 

होली मनाते दीवाली मनाते

दुनिया का हर पर्व मनाते हो

मनाते जैसा प्रेम दिवस

शहीद दिवस मनाते हो  ?

 

 

 

 

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Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 2, 2012 at 12:54pm

adarniya singh sahab ji, sadar abivadan. sarahna hetu abhar, dhanyvad.

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on April 1, 2012 at 11:04pm

आदरणीय श्री कुशवाहा जी, सादर अभिवादन!

शहीदों के प्रति आपके अनूठे प्रेम को मेरा हार्दिक नमन.

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 30, 2012 at 9:41am

aadarniya seema ji, sadar abhivadan. desh ki vartman sthiti ko dekhakar man khinn hai. aapka samarthan prapt hua asha hai ki aap mashal ko prajjvlit rakhengi. dhanyvad.

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 27, 2012 at 2:45pm

aadarniya shahi ji, sadar abhivadan

aapka sabal sneh aur aashirvad hi double hone ka karan hai. khed vyakt karke mujhe sharminda na kijiye. badhai apko hi hai.

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 24, 2012 at 5:48pm

aadarniy aashish ji. samarthan hetu dhayvaad. vande matram.

Comment by आशीष यादव on March 24, 2012 at 8:12am

मनाते जैसा प्रेम दिवस

शहीद दिवस मनाते हो  ?

एक आंगारिक प्रश्न रखा आपने।
सच मे यह सोचनीय है, आखिर हम कैसे भूल जातें है शहीदों को।
एक सार्थक रचना के लिए बधाई

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 23, 2012 at 1:11pm

snehi sandip ji aapki tippani bhi avisvamarniya hai. dhayvad

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 23, 2012 at 1:09pm

dhanyvad, arun mahoday ji, sadar vande matram 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 23, 2012 at 1:07pm

snehi mahima ji, vandematram.  

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 23, 2012 at 12:52pm

snehi asvani ji, dhanyvad. vande matram

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