For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सबकुछ कह जाने दो ..

है बड़ी बात तो बड़ी बात ही रह जाने दो ..

मेरी बातों को मेरी बातों में बह जाने दो ..
लफ्ज़ कितना भी कहें कहते कहाँ हैं सबकुछ ..फिर भी ..
आज लफ्ज़ - ब- लफ्ज़ मुझे सबकुछ कह जाने दो ..

ज़लज़ला है ,तूफ़ान है या है बवंडर कोई ..
कितनी हलचल है मगर रूह है खोई खोई ..
फिर से कुदरत की कुदरत से ठन जाने दो ..
आज लफ्ज़ - ब- लफ्ज़ मुझे सबकुछ कह जाने दो ..

लडखडाती है जुबां ,क्यूँ नहीं कहने पाती..
नमी आँखों की क्यूँ  स्याही में है घुल जाती ..
चलो यूंही सही ,स्याही अश्कों को बन जाने दो ..
आज लफ्ज़ - ब- लफ्ज़ मुझे सबकुछ कह जाने दो ..

हैं सभी अपने पर कोई भी अपना तो नहीं ..
सच चेहरों पे मगर सच्चा सच में तो नहीं 
हर चेहरे से अब सच को छलक जाने दो ..
आज लफ्ज़ - ब- लफ्ज़ मुझे सबकुछ कह जाने दो ..



Views: 577

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Lata R.Ojha on March 23, 2012 at 11:32pm

बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय अविनाश बागडे जी 

Comment by Lata R.Ojha on March 23, 2012 at 11:31pm

सराहना के लिए आभार महिमा श्री जी :)

Comment by AVINASH S BAGDE on March 23, 2012 at 7:49pm

लफ्ज़ कितना भी कहें कहते कहाँ हैं सबकुछ ..फिर भी ..

आज लफ्ज़ - ब- लफ्ज़ मुझे सबकुछ कह जाने दो .......

सबकुछ कह gai aapki ye भावपूर्ण रचना लता जी.

Comment by MAHIMA SHREE on March 23, 2012 at 2:51pm
ज़लज़ला है ,तूफ़ान है या है बवंडर कोई ..
कितनी हलचल है मगर रूह है खोई खोई ..
फिर से कुदरत की कुदरत से ठन जाने दो ..
आज लफ्ज़ - ब- लफ्ज़ मुझे सबकुछ कह जाने दो .

नमस्कार
वाह क्या कहने है....हरेक पैरा ....लाजवाब...बधाई लता जी...
Comment by Lata R.Ojha on March 23, 2012 at 2:49pm

आदरणीय संदीप जी मेरी इस अभिव्यक्ति को पसंद करने के लिए धन्यवाद :)

Comment by Lata R.Ojha on March 23, 2012 at 2:47pm

आदरणीय कुशवाहा जी ,आपके सभी कमेंट्स प्राप्त हुए हैं ,बहुत बहुत आभार ..कल बस पोस्ट करके लौग  आउट किया था सो अभी देखे सब कमेंट्स .

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 22, 2012 at 8:38pm

हैं सभी अपने पर कोई भी अपना तो नहीं ..

सच चेहरों पे मगर सच्चा सच में तो नहीं 
हर चेहरे से अब सच को छलक जाने दो ..
आज लफ्ज़ - ब- लफ्ज़ मुझे सबकुछ कह जाने दो ..
sundar bhav evam prastuti. aadarniya mahodaya ji. badhai.
Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on March 22, 2012 at 6:49pm

आदरणीया लता जी,

आपकी भावपूर्ण रचना बहुत अच्छी लगी| बधाई!

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 22, 2012 at 6:00pm

aadarniya mahoday tisra kament daal raha hoon. badhai . pahle vale lagta hai net ki vajah se nahi aaye honge.

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 22, 2012 at 5:22pm

aadarniy mahodayaa sadar abhivadan  kuch bhi na kahte hue sab kah diya. badhai.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"गजल**किसी दीप का मन अगर हम गुनेंगेअँधेरों    को   हरने  उजाला …"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई भिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर उत्तम रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"दीपोत्सव क्या निश्चित है हार सदा निर्बोध तमस की? दीप जलाकर जीत ज्ञान की हो जाएगी? क्या इतने भर से…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"धन्यवाद आदरणीय "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"ओबीओ लाइव महा उत्सव अंक 179 में स्वागत है।"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"स्वागतम"
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, करवा चौथ के अवसर पर क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस बेहतरीन प्रस्तुति पर…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service