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कल फिर किसी चट्टान को फोड़ने की कोशिश होगी 
कल फिर किसी ईमान को निचोड़ने की कोशिश होगी 
सूरज तो दिन में हर रोज की तरह दमकेगा 
कल फिर  अँधेरे में सच को मरोड़ने की कोशिश होगी 
एक और बुलंद आव़ाज का शीशा चट्केगा 
कल फिर तिलस्मी वादों से जोड़ने की कोशिश होगी
फूट रहा क्रोध का लावा बनकर हर्दय में जो 
कल फिर उसी सैलाब को मोड़ने की कोशिश होगी 
फिर तमाश्बीन  की तरह बैठे रहेंगे हम 
कल फिर किसी जांबाज को तोड़ने की कोशिश होगी 
(कल आर्मी चीफ जनरल वी के  सिंह का क्या होगा मुझे नहीं पता पर आज मेरे मन में जो संशय उभर रहा है वही उद्दगार आप लोगों से साँझा  कर रही हूँ.)

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 29, 2012 at 2:40pm

 रविन्द्र नाथ जी जब किसी सच बोलने वाले का गला घोंटते हैं तो दिल में बहुत क्रोध की ज्वाला जलती है अब देखिये यह प्रशासन वीके सिंह जी की सच्चाई की कैसे धज्जियें उडाता है उनकी हर बात सच है मैं जानती हूँ जब जन्म तिथि को लेकर उनके मन में कोर्ट जाने का द्वन्द चल रहा था मैंने भी उनके इस कदम का भरपूर समर्थन किया था आज भी पूर्ण समर्थन करती हूँ उन्हें डरना नहीं चाहिए जांबाज सिपाही तो मौत से भी नहीं डरते 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 29, 2012 at 2:29pm

jee haan seema ji yahi to durbhaagya hai is desh ka ki sach bolne vaale ko hi katghare me khada kar dete hain taaki aage koi sach bolne ki himmat na kar sake.aage aage dekhiye VK singh ji ka ye prashasan kya hashra karti hai ...jab ki vk singh ji ki baaten shar akshar satya hain yeh main janti hoon.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 29, 2012 at 1:57pm

Hareesh ji hardik dhanyavaad.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 29, 2012 at 1:56pm

Dr,Ajay kumar ji bahut abhar aapka mere uddgaron ko samajhne aur sarahna karne ke liye.

Comment by Harish Bhatt on March 29, 2012 at 1:27pm
आदरणीय राजेश जी सादर प्रणाम,
वर्तमान हालात पर सार्थक रचना के लिए हार्दिक बधाई.
Comment by Harish Bhatt on March 29, 2012 at 1:27pm
आदरणीय राजेश जी सादर प्रणाम,
वर्तमान हालात पर सार्थक रचना के लिए हार्दिक बधाई.
Comment by Dr Ajay Kumar Sharma on March 29, 2012 at 12:30pm

वाह ..ज्वलंत , सम सामयिक घटना पर एक कवयित्री का पूर्वान्कलन...

फिर तमाश्बीन  की तरह बैठे रहेंगे हम 
कल फिर किसी जांबाज को तोड़ने की कोशिश होगी
वाह मज़ा आ गया ..बधाई राजेश कुमारी जी

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