जय...जय...जय...ओ बी ओ l
यहाँ शरण में जो भी आया
ओ बी ओ ने गले लगाया l
इस मंदिर में जो भी आवे
रचना नई-नई लिखि लावे l
जो भी इसकी स्तुति गावे
नई विधा सीखन को पावे l
संपादक जी यहाँ पुजारी
उनकी महिमा भी है न्यारी l
जिसकी रचना प्यारी लागे
पुरूस्कार में वह हो आगे l
प्रबंधकों की अनुपम माया
भार प्रबंधन खूब उठाया l
जय...जय...जय..ओ बी ओ l
-शन्नो अग्रवाल
Comment
ADARNIYA AGARVAL MAHODAYA JI,
BAHUT SUNDAR BAHV. JAI HO.
jay ho.
bahut khub likha hai aapne.
OBO ki mahima ka sundar bakhan.
aadarniy shri Ambarish Srivastava ji ki baato ka dhyan dijiyega.
badhai swikaar kare.
आदरणीया शन्नो जी कृपया ध्यान दें ! चौपाई में वांछित गेयता के साथ-साथ प्रत्येक चरण में १६ -१६ मात्रा व अंत में गुरु अनिवार्य है !
//इसकी टीम ने गले लगाया l// में 'ने' को गिरा का पढ़ना पड़ रहा है
इसके स्थान पर "ओ बी ओ ने गले लगाया" कैसा रहेगा?
//इस मंदिर में जो कोई आवे // 'कोई' में मात्र गिरा कर पढ़ना पड़ रहा है इसके स्थान 'भी' अधिक उपयुक्त लग रहा है
इस मंदिर में जो भी आवे
//हो नाम पुरूस्कार में आगे// में गेयता प्रभावित होने के साथ साथ एक मात्रा भी बढ़ रही है !
इसके स्थान पर "पुरूस्कार में वह हो आगे"कैसा रहेगा ?
//संपादक जी हैं यहाँ पुजारी // १८ मात्रा
इस के स्थान पर " संपादक जी यहाँ पुजारी" कैसा रहेगा ?
//है प्रबंधकों की अनुपम माया // १८ मात्रा
इस के स्थान पर " प्रबंधकों की अनुपम माया" कैसा रहेगा ?
//भार प्रबंधन का खूब उठाया l// १८ मात्रा
के स्थान पर भार प्रबंधन खूब उठाया l (१६ मात्रा) उचित लगता है
//यहाँ शरण में जो भी आया
ओ बी ओ ने गले लगाया |//
अपनेपन से जो भी आया|
उसको हमने गले लगाया||
//इस मंदिर में जो भी आवे
रचना नई-नई लिखि लावे |//
नया सृजन उद्देश्य हमारा|
ओबीओ है हमको प्यारा||
//जो भी इसकी स्तुति गावे
नई विधा सीखन को पावे |//
स्तुति परमेश्वर की गायें|
मिलकर सीखें और सिखायें||
//संपादक जी यहाँ पुजारी
उनकी महिमा भी है न्यारी |//
कार्यभार हैं इनपर भारी|
मंदिर के यह बड़े पुजारी||
//जिसकी रचना प्यारी लागे
पुरूस्कार में वह हो आगे |//
भाव शिल्प में जो भी आगे|
उसकी रचना प्यारी लागे ||
//प्रबंधकों की अनुपम माया
भार प्रबंधन खूब उठाया |//
चौपाई हैं सुन्दर सारी |
शन्नो जी हम हैं आभारी ||
ज्ञान बढ़ाये ओबीओ, वंदन कर लें नित्य.
छंदों से जब आरती, मुखरित हो साहित्य..
रच डाली चौपाइयां, सुन्दर रचना कर्म.
शन्नो जी जय आपकी, सृजन हमारा धर्म..
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