फुरसत
शहर की मशहूर सी उस गली के दोनों किनारों पर बने घरों में रोशनी करने के लिए बिजली के तार एक दूसरे से उलझे हुवे एक घर से दूसरे घर में, दुसरे घर से तीसरे घर में और इसी तरह गली के सारे घरों से जुड़े हुवे थे. बिजली के इन तारों में उलझ कर एक दिन एक बंदर की मौत हो गयी. गली में बने सभी घरों में रहने वाले लोगों को बंदर की मौत से लगने वाले पाप से छुटकारा पाने की चिंता हो गयी. गली के सभी बाशिंदओं ने आपस में रायशुमारी करने के बाद बन्दर की अंतिम यात्रा निकलने का निर्णय लिया. बंदर की अंतिम यात्रा निकलने की तैयारी हुई. अपनी सामर्थ्य के अनुसार सबने इस यात्रा के लिए योगदान दिया - किसी ने पैसों से, किसी ने कपड़े दान किये, किसी ने अंतिम यात्रा में लुटाने के लिए खील बताशे, किसी ने कुछ तो किसी ने कुछ जुटाया.
बजे गाजे के साथ बंदर की अंतिम यात्रा निकली. रामजी के सेवक की अंतिम यात्रा के लिए सभी अपनी अपनी श्रद्धा से शरीक हुए . लेकिन उसी गली के मुंहाने पर सड़क के किनारे चिथड़ों में लिपटी, कई दिनों से भूखी और बीमार बूढी भिखारन की सुध लेने की किसी को फुरसत नहीं थी.
Comment
पंजाबी में एक शिअर लिखा था मैंने !! याद आ गया !!
aadrniya nilam ji, sadar abhivadan.
antim yatra bhi avashyak hai parantu budhi bhikarin ke prati samaj ko apna dayitv avashy nibhana tha. badhai.
हम सभी धर्म धर्म खूब चिल्लाते है पर वही पर मानव धर्म भूल जाते हैं...Jawahar lal ji bilkul sahi kaha apane......dil ko kchotati laghu-katha...Neelam ji bahut khoob.
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online