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मच्छर आवाज़ उठाता है

‘सिस्टम’ ताली बजाकर मार देता है

और ‘मीडिया’ को दिखाता है भूखे मच्छर का खून

अपना खून कहकर

 

मच्छर बंदूक उठाते हैं

‘सिस्टम’ ‘मलेरिया’ ‘मलेरिया’ चिल्लाता है

और सारे घर में जहर फैला देता है

 

अंग बागी हो जाते हैं

‘सिस्टम’ सड़न पैदा होने का डर दिखालाता है

बागी अंग काटकर जला दिए जाते हैं

उनकी जगह तुरंत उग आते हैं नये अंग

 

‘सिस्टम’ के पास नहीं है खून बनाने वाली मज्जा

जिंदा रहने के लिए वो पीता है खून

जिसे हम ‘डोनेट’ करते हैं अपनी मर्जी से

 

हर बीमारी की दवा है

‘सिस्टम’ के पास

हर नया विषाणु इसके प्रतिरक्षा तंत्र को और मजबूत करता है

 

‘सिस्टम’ अजेय है

‘सिस्टम’ सारे विश्व पर राज करता है

क्योंकि ये बनाया गया था दुनिया जीतने वाली जाति के

सबसे तेज और कमीने दिमागों द्वारा

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Comment

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Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 15, 2012 at 9:30pm

अश्विनी जी, सहमत हूँ आपसे, सिस्टम हमारा ही खून पीकर पल रहा है। धन्यवाद

Comment by अश्विनी कुमार on April 15, 2012 at 9:07am

धर्मेन्द्र जी सादर अभिवादन ....
हम इस सिस्टम को कितना भी कोसे लेकिन इसमे हमारा भी योगदान कुछ कम नही  है .......सादर आभार

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 15, 2012 at 8:59am

शुक्रिया प्रदीप जी

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 14, 2012 at 10:37pm

vastvikta yahi hai, badhai.

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 12, 2012 at 11:35pm

आदरणीय सौरभ जी, सतीश जी, जवाहर लाल जी एवं प्राची जी आपके स्नेह के लिए आपका दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ।

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on April 12, 2012 at 5:54am

आदरणीय सौरभ जी से अक्षरक्ष: सहमत हूँ ............... इस प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय धर्मेन्द्र जी!

बहुत ही लाजवाब!

Comment by satish mapatpuri on April 12, 2012 at 12:46am

आदरणीय सौरभ जी से अक्षरक्ष: सहमत हूँ ............... इस प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय धर्मेन्द्र जी


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 11, 2012 at 10:44pm

इस घिनौनी सिस्टम के हम ही कारण हैं.  खैर, सब कुछ कह डाला, फिर भी अनकहा रहे. 

इस सशक्त रचना हेतु हार्दिक बधाई, अभिन्न भाई धर्मेन्द्रजी.

कृपया ध्यान दे...

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