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सभी आदरणीय कवि मित्रों का हौसला अफजाही के लिए
शुक्रिया, आशा है आगे भी स्नेह बनाये रखेंगे....
bahut sundar arth purn baat kah gaye aap. badhai.
सभी मांगते हैं भिक्षा,
कोई हरेक से तो कोई हरी से,
हम भी देते है भिक्षा
जो हमें हरी से मिला ,
अच्छी रचना अजय जी, बधाई |
क्या कहने !! आपके इस अंदाज़े बयां पर हार्दिक बधाई !!
बादशाह और फ़क़ीर की कथा को याद दिला दिया आपने अजय जी. धन्यवाद
अच्छा लगा !! सोच है !! खूब
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