For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मोहपाश

माँ की महिमा

माँ नहीं तो न घर न गाँव है 

माँ ही ममता की छाँव है 

माँ शब्द में ममता समायी है

माँ शब्द में घुली मिठास है

माँ शब्द में मान है सम्मान है

माँ शब्द में मदिरा सी मस्ती है

माँ शब्द में मधुर उल्लास है

माँ शब्द में जादू सा सम्मोहन है

माँ शब्द में मन मयूर का नाच है

माँ शब्द मन मोहन से ऊपर है

माँ का मिलन सब सुखो का भंडार है

माँ में समाहित सारे जहां का  संसार

माँ शब्द गागर में सागर है

द्वारा-लक्ष्मण प्रसाद लड़ीवाला, जयपुर

Views: 501

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 18, 2012 at 11:08pm

maan saman koi nahi. badhai.

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on April 17, 2012 at 11:17pm

माँ शब्द में मधुर उल्लास है

माँ शब्द में जादू सा सम्मोहन है

--------------------------------------------

माँ शब्द में मन मयूर का नाच है

माँ शब्द मन मोहन से ऊपर है

माँ शब्द में मदिरा सी मस्ती है 

से और अच्छा होता माँ शब्द मधु है मधुशाला है .......अमृत का प्याला है ...
भ्रमर ५ 


Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 17, 2012 at 10:23pm

आदरणीय गणेश जी बागी, नमस्कार "माँ की महिमा" का एहसास "माँ शब्द

 को ब्रह्माण्ड से भी बड़ा" कहकर गागर में सागर को आपने चरितार्थ कर दिया |
आपने जो उत्साह वर्धन किया है, उसके लिए आपका हार्दिक धन्यवाद |
-लक्ष्मण प्र. लडीवाला
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 17, 2012 at 10:17pm

महिमा श्री जी, नमस्कार "माँ की महिमा" का एहसास "माँ तो बस-----

माँ है" से आपने भी थोड़े से शब्दों में कराते हुए मेरा जो उत्साह वर्धन 
किया है, उसके लिए हार्दिक धन्यवाद |-लक्ष्मण प्र. लडीवाला
Comment by MAHIMA SHREE on April 16, 2012 at 9:50pm

आदरणीय लक्ष्मण जी ,

नमस्कार , क्या कहूँ माँ तो बस........................................... माँ है      .बेहद  ही सुंदर अभिवयक्ति ..बधाई स्वीकार करें  


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 16, 2012 at 9:33pm

माँ एक छोटा शब्द ....अर्थ ब्रह्मांड से भी बड़ा, बहुत ही सुन्दर रचना, बधाई लक्ष्मण प्रसाद जी |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"गिरह का शेर अच्छा हुआ।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"जी, मार्गदर्शन के लिए आभार।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा हुआ है। हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
Poonam Matia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"अच्छे अशआर हुए.........मुबारक खँडहर देख लें    "
3 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"तुझे तेज धारा उधर ले न जाए   जिधर उठ रहे हैं भंवर धीरे धीरे। ("संभलना" शब्द के…"
4 hours ago
Poonam Matia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय दयाराम जी शुक्रिया  हौसला अफज़ाई केलिए       "
5 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय अजय गुप्ता जी, बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है। बधाई स्वीकार करें।"
5 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ग़ज़ल अच्छी हुई है। बधाई स्वीकार करें।"
5 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय रिचा यादव जी, ग़ज़ल अच्छी हुई है। बधाई स्वीकार करें।"
5 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय पूनम जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है। बधाई स्वीकार करें।"
6 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, पोस्ट पर आपकी टिप्पणी व सुझाव के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
6 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service