मौका था गुरु भाई प्रकाश सिंह 'अर्श' की शादी का, और शहर था पटना
तो ऐसा कैसे होता कि गणेश जी से मुलाक़ात न हो ...
१८ अप्रैल को शादी और १९ अप्रैल को गणेश जी से मुलाक़ात ...
गुरु भाई प्रकाश सिंह अर्श, गुरु भाई रविकांत पाण्डेय और मैं
गुरु बहन कंचन सिंह चौहान जी के साथ
गणेश जी के साथ उनके आफिस में रविकांत पाण्डेय जी और मैं
Comment
प्रिय केशरी जी ..शुभ कामनाएं मंगल क्षण ...ऐसे ही समा बंधा रहे ...आप ने मुझे भी शामिल किया दूर से ही सही गुलाब जामुन का रसास्वदन मन ही मन हो गया ...जय श्री राधे
nice one..कुछ स्मृति कलश.
अप्रतिम क्षण
गुलाबजामुन अच्छे है|
आज बागी जी के दफ्तर और उनके दूसरी अन्य तस्वीर के भी दर्शन हुए वरना अब तक तो सिर्फ एक ही तस्वीर देखते आये थे. धन्यवाद
mithe chAN share kiye. aanadit hua. badhai. aadarniy vinus ji.
पटना की आपकी यात्रा का सोत्साह सम्पन्न होना कई अर्थों में तोषमय दीख रहा है, वीनसजी.
प्रकाशजी का शुभ-विवाह समस्त बधाइयों का कलेवर ओढ़े आपकी स्मृतियों के सुनहरे पन्ने और बढ़ा गया होगा, तो वहीं अनुज गणेशजी के साथ हुई भेंट मधु-समृद्ध भावनाओं का आदान-प्रदान रहा होगा. उसपर से देख रहा हूँ कि भाई रविकांतजी की साक्षी-उपस्थिति में आप गणेश भाई द्वारा ओबीओ के मानद-पत्र से भी लाभान्वित हुए हैं ! यानि, खिलखिला कर हँसने को मुँह क्या खुला मुँह में टप् से रसगुल्ला आ पड़ा ! अय-हय !!
ईश्वर ऐसी यात्राएँ सर्वसुलभ करावे. बधाई.
मुबारकां वीनस जी...!! :-)))
प्रिय वीनस, समय का पता ही नहीं चला और भाई रविकांत जी की गाड़ी का समय हो गया , ऐसा लगा जैसे कोई रसगुल्ला जिव्हा से सटा कर हटा दे | आप दोनों के साथ व्यतीत समय यादगार रहा |
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