For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कौन हूँ मैं... ??

कौन हूँ मैं... 
_______

आज फिर से वो ही ख्याल आया हैं,
आत्मा से उभर के एक सवाल आया हैं,
कि मैं कौन हूँ...??
कौन हूँ मैं... ?

हैं रंगमंच जो दुनिया ये,
क्यूँ अपने किरदार को भूल रहा,
जीना था औरो की खातिर,
क्यूँ अपने दुखों में झूल रहा,
क्यूँ मुझमें हैं अनबुझी प्यास,
क्यूँ खुशियों को मैं ढूँढ रहा,
अनभिज्ञ हूँ मौन हूँ...
आखिर मैं कौन हूँ...??


मन के अन्दर कोई प्यास नहीं,
अंतस फिर भी अतृप्त क्यों,
सपनों में ये संलिप्त है क्या, 
भीगी पलकें ये पीर है क्यों,
क्या ये सब भी इक ढोंग बस, 
क्या खोटा है मेरा मानस,
हैरान हूँ मौन हूँ..
आखिर मैं कौन हूँ...??
कौन हूँ मैं... ??

बस चाहूँ जीव हित बहूँ नदिया सा,
खिल जाऊँ ,महकूँ बगिया सा,
पर क्या चाह ही अनमोल है,
प्रयाण बिना पथ का क्या मोल है..
रीत रही प्रतिपल जीवन गगरी,
बढ़ रही निरंतर प्रश्न वल्लरी,
अनुत्तरित हूँ मौन हूँ..
आखिर मैं कौन हूँ...?

.
प्रवीण कुमार पर्व

Views: 524

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by praveen on April 28, 2012 at 1:41pm

Ambarish Srivastava जी  और vandana gupta जी सराहना हेतु अत्यंत कृतज्ञ हूँ..


Comment by Er. Ambarish Srivastava on April 27, 2012 at 2:05pm

//बस चाहूँ जीव हित बहूँ नदिया सा,
खिल जाऊँ ,महकूँ बगिया सा,
पर क्या चाह ही अनमोल है,
प्रयाण बिना पथ का क्या मोल है..
रीत रही प्रतिपल जीवन गगरी,
बढ़ रही निरंतर प्रश्न वल्लरी,
अनुत्तरित हूँ मौन हूँ..
आखिर मैं कौन हूँ...?//

प्रवीण जी, बड़ी ही ईमानदारी व सहजता से स्वयं से किये गए प्रश्न बहुत ही सटीक हैं ! आदरणीय  बागी जी ने सत्य ही कहा है कि स्वयम को खोज पाना ही जीवन की सार्थकता है ! भाव व शिल्प की दृष्टि से यह रचना बहुत सशक्त है ! हार्दिक बधाई मित्रवर !

Comment by praveen on April 25, 2012 at 9:09pm

 CHOTU SINGH जी,  MAHIMA SHREE जी,  Ganesh Jee "Bagi" जी, Arun Kumar Pandey 'Abhinav' जी,satish mapatpuri जी,  आशीष यादव जी, Seema दीदी,  SHAILENDRA KUMAR SINGH 'MRIDU' जी, PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA जी...
मेरी प्रथम रचना को आप लोगो ने जो मान दिया हैं..इससे मैं अभिभूत हूँ !! और इस सम्मान के लिये अत्यंत कृतज्ञ हूँ..!! मैं अभी लेखन विधा में बहुत छोटा हूँ आप सब से अत: सविनय निवेदन हैं कि आदरणीय जैसे शब्दों से संबोधित न करें...

Comment by MAHIMA SHREE on April 25, 2012 at 3:23pm
रीत रही प्रतिपल जीवन गगरी,
बढ़ रही निरंतर प्रश्न वल्लरी,
अनुत्तरित हूँ मौन हूँ..
आखिर मैं कौन हूँ...?

आदरणीय प्रवीन जी , नमस्कार ,
वाह बहुत ही सुंदर और गहन अभिवयक्ति ...
बधाई स्वीकार करें

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 25, 2012 at 1:56pm

आदरणीय प्रवीण जी, स्वयम को खोज पाना ही जीवन की सार्थकता है, मैं कौन हूँ ....इसी प्रश्न में हम सभी उलझे है, शानदार अभिव्यक्ति पर बधाई स्वीकार करें महोदय |

Comment by Abhinav Arun on April 25, 2012 at 6:45am

क्यूँ अपने दुखों में झूल रहा,
क्यूँ मुझमें हैं अनबुझी प्यास,
क्यूँ खुशियों को मैं ढूँढ रहा,
अनभिज्ञ हूँ मौन हूँ...
आखिर मैं कौन हूँ...??

आदरणीय श्री प्रवीन जी हार्दिक बधाई इस सशक्त रचना पर !! आपने अंतर में घुमड़ते प्रश्न को अत्यंत प्रभावी ढंग से उकेरा है इस रचना में हार्दिक शुभकामनाएं भी !!




Comment by satish mapatpuri on April 25, 2012 at 1:27am

आत्म मंथन कराती इस खुबसूरत रचना के लिए बधाई प्रवीण जी

Comment by आशीष यादव on April 24, 2012 at 11:58pm
इस सांसारिक मञ्च पर कभी हम खुद को कठपुतली (भाग्य भारोसिक) मानते हैँ तो कभी स्वयँरचित स्कृप्ट (कर्म) पर पात्र बन मञ्चन करने वाला। रचनाकार इन प्रश्नो को रखना चाहा है।
एक सफल रचना हेतु बधाई
Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on April 24, 2012 at 11:09pm

"अपने आप को जानो" का सन्देश संप्रेषित करती कृति पर ह्रदय से बधाई स्वीकार करें आदरणीय प्रवीण जी

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 24, 2012 at 11:07pm

बस चाहूँ जीव हित बहूँ नदिया सा,
खिल जाऊँ ,महकूँ बगिया सा,

adarniya pravin ji, sadar. bahut sundar vichar, sundar rachna, prshn. badhai. 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Oct 31
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service