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                  -नसीब-

कहते हैं,नसीब से जो होता है,वो बहुत अच्छा होता है,
नसीब से ही मिलना और नसीब से ही कोई जुदा होता है,
बिछड जाते है अपने दिल के टुकड़े भी कभी-कभी.. 
देता है खुदा वही जो हमारे लिये अच्छा होता हैं ll

 

नसीब के भरोसे न कभी हाथ पे हाथ धर बैठना यारो,
न होना परेशां जो न मिल पाये मेहनत का फल यारो,
इंसान की मेहनत के आगे दुनिया का सर भी झुका होता हैं,
देता है खुदा वही जो हमारे लिये अच्छा होता हैं ll

 

क्यूँ रोता है,खुद को बेबस समझ नाहक यूँ जार-जार,
चल पोंछ आँसू लड़ जा अपनी किस्मत से बार-बार,
मुट्ठी भर मुश्किलों में ही बस क्यूँ हताश होता हैं l
देता है खुदा वही जो हमारे लिये अच्छा होता हैं ll

 

आशा की बस एक लौ ही काफी है अंधेरों के लिये,
कुछ न कुछ तो हैं इस जहान में सब के लिये,
कर तो इंतज़ार दो घड़ी सब्र का फल मीठा होता हैं,
देता है खुदा वही जो हमारे लिये अच्छा होता हैं ll —प्रवीण कुमार पर्व 

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Comment by praveen on May 6, 2012 at 6:28pm

SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR जी, Arun Kumar Pandey 'Abhinav' जी,  PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA जी मेरी रचना आप लोगो को  पसंद आयी...मैं धन्य हुआ ..सादर आभार आपका..!!

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on May 6, 2012 at 12:14am

क्यूँ रोता है,खुद को बेबस समझ नाहक यूँ जार-जार,
चल पोंछ आँसू लड़ जा अपनी किस्मत से बार-बार,
मुट्ठी भर मुश्किलों में ही बस क्यूँ हताश होता हैं l
देता है खुदा वही जो हमारे लिये अच्छा होता हैं ll

 

आशा की बस एक लौ ही काफी है अंधेरों के लिये,
कुछ न कुछ तो हैं इस जहान में सब के लिये,
कर तो इंतज़ार दो घड़ी सब्र का फल मीठा होता हैं,

प्रवीण जी जोश जगाती रचना ...सुन्दर सन्देश ..सच में सब्र का फल मीठा ही होता  है .आप का सब्र से लिखना हम सब को मिठास दे गया .... शुभ कामनाएं ..जय श्री राधे -भ्रमर ५ 

Comment by Abhinav Arun on May 5, 2012 at 8:03pm

सुन्दर सकारात्मक भावों की इस रचना के लिए भी श्री प्रवीण जी को हार्दिक बधाई !!

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 5, 2012 at 1:12pm

नसीब के भरोसे न कभी हाथ पे हाथ धर बैठना यारो,
न होना परेशां जो न मिल पाये मेहनत का फल यारो,
इंसान की मेहनत के आगे दुनिया का सर भी झुका होता हैं,
देता है खुदा वही जो हमारे लिये अच्छा होता हैं ll

बहुत सुन्दर ,प्रेरणा दायक   रचना बधाई.

Comment by praveen on May 4, 2012 at 11:44pm

 Saurabh Pandey जी सादर आभार !! :)


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 4, 2012 at 11:32pm

इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें प्रवीण जी.

Comment by praveen on May 4, 2012 at 10:57pm

MAHIMA SHREE जी ,  Seema agrawal दीदी , rajesh kumari  जी सादर आभार आपका..कि आपने मेरे लिखे का इतना मान दिया..

Comment by MAHIMA SHREE on May 4, 2012 at 4:40pm
आशा की बस एक लौ ही काफी है अंधेरों के लिये,
कुछ न कुछ तो हैं इस जहान में सब के लिये,
प्रवीन जी, नमस्कार ..
सकरात्मक सोच और जीवन के यथार्थ से परिचय कराती रचना के लिए बधाई स्वीकार करे

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 4, 2012 at 12:53pm

पूरी  कविता आशा की किरण को साथ लेकर हौंसले बढ़ाती   हुई आगे बढती है 

और अंत में.......... आशा की बस एक लौ ही काफी है अंधेरों के लिये,     

कुछ न कुछ तो हैं इस जहान में सब के लिये,
कर तो इंतज़ार दो घड़ी सब्र का फल मीठा होता हैं,

देता है खुदा वही जो हमारे लिये अच्छा होता हैं........    ये पंक्तियाँ तो सम्पूर्ण  कविता का सार अपने में समेटे हुए हैं  ..बहुत सुन्दर . 

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