-नसीब-
कहते हैं,नसीब से जो होता है,वो बहुत अच्छा होता है,
नसीब से ही मिलना और नसीब से ही कोई जुदा होता है,
बिछड जाते है अपने दिल के टुकड़े भी कभी-कभी..
देता है खुदा वही जो हमारे लिये अच्छा होता हैं ll
नसीब के भरोसे न कभी हाथ पे हाथ धर बैठना यारो,
न होना परेशां जो न मिल पाये मेहनत का फल यारो,
इंसान की मेहनत के आगे दुनिया का सर भी झुका होता हैं,
देता है खुदा वही जो हमारे लिये अच्छा होता हैं ll
क्यूँ रोता है,खुद को बेबस समझ नाहक यूँ जार-जार,
चल पोंछ आँसू लड़ जा अपनी किस्मत से बार-बार,
मुट्ठी भर मुश्किलों में ही बस क्यूँ हताश होता हैं l
देता है खुदा वही जो हमारे लिये अच्छा होता हैं ll
आशा की बस एक लौ ही काफी है अंधेरों के लिये,
कुछ न कुछ तो हैं इस जहान में सब के लिये,
कर तो इंतज़ार दो घड़ी सब्र का फल मीठा होता हैं,
देता है खुदा वही जो हमारे लिये अच्छा होता हैं ll —प्रवीण कुमार पर्व
Comment
SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR जी, Arun Kumar Pandey 'Abhinav' जी, PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA जी मेरी रचना आप लोगो को पसंद आयी...मैं धन्य हुआ ..सादर आभार आपका..!!
क्यूँ रोता है,खुद को बेबस समझ नाहक यूँ जार-जार,
चल पोंछ आँसू लड़ जा अपनी किस्मत से बार-बार,
मुट्ठी भर मुश्किलों में ही बस क्यूँ हताश होता हैं l
देता है खुदा वही जो हमारे लिये अच्छा होता हैं ll
आशा की बस एक लौ ही काफी है अंधेरों के लिये,
कुछ न कुछ तो हैं इस जहान में सब के लिये,
कर तो इंतज़ार दो घड़ी सब्र का फल मीठा होता हैं,
प्रवीण जी जोश जगाती रचना ...सुन्दर सन्देश ..सच में सब्र का फल मीठा ही होता है .आप का सब्र से लिखना हम सब को मिठास दे गया .... शुभ कामनाएं ..जय श्री राधे -भ्रमर ५
सुन्दर सकारात्मक भावों की इस रचना के लिए भी श्री प्रवीण जी को हार्दिक बधाई !!
नसीब के भरोसे न कभी हाथ पे हाथ धर बैठना यारो,
न होना परेशां जो न मिल पाये मेहनत का फल यारो,
इंसान की मेहनत के आगे दुनिया का सर भी झुका होता हैं,
देता है खुदा वही जो हमारे लिये अच्छा होता हैं ll
बहुत सुन्दर ,प्रेरणा दायक रचना बधाई.
Saurabh Pandey जी सादर आभार !! :)
इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें प्रवीण जी.
MAHIMA SHREE जी , Seema agrawal दीदी , rajesh kumari जी सादर आभार आपका..कि आपने मेरे लिखे का इतना मान दिया..
पूरी कविता आशा की किरण को साथ लेकर हौंसले बढ़ाती हुई आगे बढती है
कुछ न कुछ तो हैं इस जहान में सब के लिये,
कर तो इंतज़ार दो घड़ी सब्र का फल मीठा होता हैं,
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