For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

praveen
  • Male
  • delhi
  • India
Share on Facebook MySpace

Praveen's Friends

  • seema agrawal
  • PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA
  • MAHIMA SHREE
  • praveen singh "sagar"
  • VISHAAL CHARCHCHIT
  • आशीष यादव

praveen's Groups

 

praveen's Page

Profile Information

Gender
Male
City State
delhi
Native Place
bihar
Profession
software engineer
About me
chilled & friendly. Always love everyone unconditionally. you never know who loves you back. Seek the good in everything. Life is a journey, And I intend to fully enjoy the ride.

Comment Wall (2 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 2:16pm on August 1, 2015,
सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर
said…

ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्म दिन की हार्दिक शुभकामनायें!

At 1:10pm on April 5, 2012, PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA said…

SWAGAT HAI AAPKA.

Praveen's Blog

तेरा ही तलबगार हूँ मैं...

प्रेम एक रोग हैं गर,

तो हाँ बीमार हूँ मैं,

चाहत बस मुझे तेरी

तेरा ही तलबगार हूँ मैं ll

 

पूजेंगे तुम्हे अब हम ,

तेरे आगे सर झुकायेंगे,

हैं गर ये खता यारो,

तो हाँ गुनाहगार हूँ मैं ll

 

तुझे जो हो न यकीं,

दिल में झांक ले कभी,

तेरे ही ख्वाब पलते हैं,

तेरा ही वफादार हूँ मैं ll

 

चाँद, तारे बहुत दूर तुमसे,

नजर जब भी उठाओगे,

हर सू मुझे ही पाओगे..

हाँ तेरा ही दरों-दिवार हूँ…

Continue

Posted on January 22, 2013 at 11:49pm — 5 Comments

स्वप्न सत्य सा लखता जाऊँ...

तुमको जब मैं संग न पाऊँ

व्याकुल मन कैसे समझाऊँ 

बेकल हो यह सोच रहा कैसे

तुझसे तुझको मैं चुराऊँ

मृदु भावों से कलम भरी है 

प्रीत भरी मन की नगरी है

धन वैभव प्रिय पास न मेरे 

शब्द बना मोती बरसाऊँ

मिलो जो तुम तो खो जाऊं मैं 

जुदा स्वयं से हो जाऊँ मैं 

स्वप्न अगर ये स्वप्न ही सही 

स्वप्न सत्य सा लखता जाऊँ

आठों पहर साथ हो तेरा 

जीवन का हर सांझ सवेरा 

नाम तेरे कर दूँ, सौरभ बन 

श्वांस में तेरी मैं घुल जाऊँ…

Continue

Posted on December 7, 2012 at 11:00pm — 4 Comments

-नसीब-

                  -नसीब-

कहते हैं,नसीब से जो होता है,वो बहुत अच्छा होता है,

नसीब से ही मिलना और नसीब से ही कोई जुदा होता है,

बिछड जाते है अपने दिल के टुकड़े भी कभी-कभी.. 

देता है खुदा वही जो हमारे लिये अच्छा होता हैं ll

 

नसीब के भरोसे न कभी हाथ पे हाथ धर बैठना यारो,

न होना परेशां जो न मिल पाये मेहनत का फल यारो,

इंसान की मेहनत के आगे दुनिया का सर भी झुका होता…

Continue

Posted on May 4, 2012 at 10:00am — 9 Comments

कौन हूँ मैं... ??

कौन हूँ मैं... 

_______



आज फिर से वो ही ख्याल आया हैं,

आत्मा से उभर के एक सवाल आया हैं,

कि मैं कौन हूँ...??

कौन हूँ मैं... ?



हैं रंगमंच जो दुनिया ये,

क्यूँ अपने किरदार को भूल रहा,

जीना था औरो की खातिर,

क्यूँ अपने दुखों में झूल रहा,

क्यूँ मुझमें हैं अनबुझी प्यास,

क्यूँ खुशियों को मैं ढूँढ रहा,

अनभिज्ञ हूँ…

Continue

Posted on April 24, 2012 at 9:00pm — 10 Comments

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागत है"
4 hours ago
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"वाह बहुत खूबसूरत सृजन है सर जी हार्दिक बधाई"
Thursday
Samar kabeer commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, आमीन ! आपकी सुख़न नवाज़ी के लिए बहुत शुक्रिय: अदा करता हूँ,सलामत रहें ।"
Wednesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ पचपनवाँ आयोजन है.…See More
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
Sunday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Apr 14

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Apr 13

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Apr 13

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service