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दोहा सलिला: शब्दों से खिलवाड़- १ --संजीव 'सलिल'

दोहा सलिला:
शब्दों से खिलवाड़- १
संजीव 'सलिल'
*
शब्दों से खिलवाड़ का, लाइलाज है रोग..
कहें 'स्टेशन' आ गया, आते-जाते लोग.
*
'पौधारोपण' कर कहें, 'वृक्षारोपण' आप.
गलत शब्द उपयोग कर, करते भाषिक पाप..
*
'ट्रेन' चल रही किन्तु हम, चला रहें हैं 'रेल'. 
हिंदी माता है दुखी, देख शब्द से खेल..
*
कहते 'हैडेक' पेट में, किंतु नहीं 'सिरदर्द'.
बने हँसी के पात्र तो, मुख-मंडल है ज़र्द..
*
'फ्रीडमता' 'लेडियों' को, मिले दे रहे तर्क.
'कार्य' करें तो शर्म है, गर्व करें यदि 'वर्क'..
*
'नेता' 'लीडर' हो हुए, आम जनों से दूर.
खून चूसते देश का, मिल अफसर मगरूर..
*
'तिथि' आने की ज्ञात तो, 'अतिथि' रहे क्यों बोल?
शर्म न गलती पर करें, पीट रहे हैं ढोल..
*
क्यों 'बस' को 'मोटर' कहें, मोटर बस का यंत्र.
सही-गलत के फर्क का, सिर्फ अध्ययन मंत्र.. 
*
'नृत्य' न करना भूलकर, डांस इंडिया डांस. 
पूजा पेशा हो गयी, शाकाहारी मांस..
*
'सर्व' न कर 'सर्विस' करें, कहलायें 'सर्वेंट'.
'नौकर' कहिये तो लगे, हिंदी इनडीसेंट..  
*
'ममी-डैड' माँ-बाप को, कहें उठाकर शीश.
बने लँगूरा कूदते, हँसते देख कपीश..
*

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Comment

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Comment by Ashok Kumar Raktale on May 2, 2012 at 11:27pm

आदरणीय सलिल जी
                    सादर,हमारी रोजमर्रा की गलतियों पर आपके सुन्दर व्यंगात्मक दोहे. बधाई.
हिंदी शब्द के अर्थ में, अंग्रेजी अर्थ खो जाय.
तडित दामिनी दमके ज्यूँ,अंग्रेजी अर्थ हो जाय.

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 2, 2012 at 1:36pm

aadarniya salil ji saadar abhivadan,'

main apni galti sudhar loonga. abhar.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 2, 2012 at 9:57am
'पौधारोपण' कर कहें, 'वृक्षारोपण' आप.
गलत शब्द उपयोग कर, करते भाषिक पाप..
खुबसूरत और रोचक दोहे कहे है आचार्य जी, बहुत बहुत बधाई |

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 1, 2012 at 3:46pm

अर्थ पड़ा बेमोल है, तभी अर्थ है व्यर्थ
शब्दों की बाज़ीग़री, भाँड़ रहा है अर्थ ..

आचार्य सलिलजी,  रोचक दोहों के लिये सादर बधाइयाँ

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