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छन्न पकैया .......

छन्न पकैया - छन्न पकैया, सूरज दावानल है.
सूख रहीं हैं नदियाँ सारी, सड़के रहीं पिघल हैं.
**
छन्न पकैया - छन्न पकैया,जलता आलम सारा.
थर्मा-मीटर की नलिका में, ताव मारता पारा.
**
छन्न पकैया - छन्न पकैया, बीसुर रही हरियाली.
मुरझाते फूलों के मुख से , हुई  नदारत लाली.
**
छन्न पकैया - छन्न पकैया,लस्सी,कुल्फी,मठ्ठा,
तीनो मिलकर ना बैठा दें , ग्रीष्म-ऋतु का भठ्ठा.
**
छन्न पकैया - छन्न पकैया, नभ फेंके अंगारें.
लू की लहरें दिखा रहीं हैं, सबको दिन में तारे!!
**
छन्न पकैया - छन्न पकैया, गौरैया  बेहाल!
नल के ऊपर चोंच मारते, जीना हुआ मुहाल.
**
छन्न पकैया - छन्न पकैया, लोग ये आते-जाते.
गमछा लेकर सूर्य-कोप से, मुखड़ा  आज चुराते.
**
अविनाश बागडे...

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Comment

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Comment by AVINASH S BAGDE on May 6, 2012 at 5:08pm

सौरभ  जी, आप की पसंद एक खास मायने रखती है मेरे लिये....शुक्रिया.

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on May 6, 2012 at 12:12am

छन्न पकैया - छन्न पकैया, गौरैया  बेहाल!

नल के ऊपर चोंच मारते, जीना हुआ मुहाल.
**
छन्न पकैया - छन्न पकैया, लोग ये आते-जाते.
गमछा लेकर सूर्य-कोप से, मुखड़ा  आज चुराते.
**अविनाश जी ...सटीक ..चुभते हुए इस मौसम का सुंदर चित्रण  ..लस्सी कुल्फी मट्ठा  और  कच्चे आम पुदीना  के पने को रंग दिखाना ही होगा ... शुभ कामनाएं ..जय श्री राधे -भ्रमर ५ 
Comment by Abhinav Arun on May 5, 2012 at 8:02pm
छन्न पकैया - छन्न पकैया, नभ फेंके अंगारें.
लू की लहरें दिखा रहीं हैं, सबको दिन में तारे!!
हा हा हा मज़ा आगया आदरणीय अविनाश जी बहुत सुन्दर वाह !!

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 5, 2012 at 7:17pm

भाई अविनाशजी,  आपकी छन्न पकैया खूब पकी है. गौरैया वाले छंद में क्या मंजरनिगारी है.  पूरा का पूरा ग्रीष्म ही उतार दिया है आपने. 

सादर बधाइयाँ.


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on May 5, 2012 at 4:01pm

मानना पड़ेगा भाई अविनाश बागडे जी, आप ओबीओ के "छन्न पकैया" एक्सपर्ट हो गए हैं..... :))))

Comment by AVINASH S BAGDE on May 5, 2012 at 3:12pm

 संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी'...बहुत-बहुत आभार.

प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा ....आपकी टिप्पणी अमूल्य है...

Comment by AVINASH S BAGDE on May 5, 2012 at 3:08pm

..बहुत-बहुत आभार...शुक्रिया योगराज जी आपकी हौसला अफजाई का..

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 5, 2012 at 1:44pm

गरमी में सर्दी का  दे सुन्दर अहसास.

लस्सी,कुल्फी,मठ्ठा   रiखियो  साथ

   बधाई.
Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on May 5, 2012 at 12:53pm

वाह! क्या ख़ूब छन्न पकैया पेश किये आपने! ख़ास तौर से अंत के दो! वर्तमान मौसम का दृश्य सजीव हो उठा! साभार,


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on May 5, 2012 at 11:12am

वाह वाह  वाह - बहुत ही सुन्दर छन्न-पकैया कहे हैं अविनाश बागडे जी. बधाई स्वीकारें.

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