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विंध्येश्वरी भाईजी, आप छंदों पर आप काम कर रहे हैं, यह सुखकारी है. देखियेगा धीरे-धीरे रचनाओं में तथ्यात्मक गहरायी आती जायेगी.
हार्दिक शुभकामनाएँ.
धरा बचा लें नीर,बचाना जीवन चाहें।
यही भले की बात,यदि हम प्रलय न चाहें॥
बहुत सुन्दर ,वर्तमान और भविष्य हेतु सन्देश बधाई.
सीख से भरी सुन्दर भावों से सजी रोला छंद में आबद्ध सुन्दर रचना.. हार्दिक बधाई विन्ध्येश्वरी जी
वह वाह - बहुत सुन्दर रोला छंद. बधाई स्वीकार करें विन्ध्येश्वरी भाई
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ऑक्सीजन में कमी,वायु में कार्बन भारी।
मलवे से है पटी,प्रदूषित नदियां सारी॥
धरा बचा लें नीर,बचाना जीवन चाहें।
यही भले की बात,यदि हम प्रलय न चाहें॥
sateek
sarthak
samyochit.
रहिमन आये याद,हमें तुम्हारा पानी।
घटा जलस्तर किन्तु,बढ़ा आंखों में पानी॥...wah bindeshwari ji
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