जिंदगी रूठ के मुझसे कहीं खोई होगी
तकिये में मुंह छिपाकर रोई होगी
जल गई थी जो अरमानों की फसल
यंकी नहीं कि फिर से बोई होगी
बढ़ गई होंगी जब दिल की बेताबियाँ
टूटी मेरी तस्वीर फिर संजोई होगी
मैं जानता हूँ हाल इस वक़्त भी उसका
शबनम ओढ़ के पलकों पे सोई होगी
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Comment
मैं जानता हूँ हाल इस वक़्त भी उसका
शबनम ओढ़ के पलकों पे सोई होगी KITANA KOMAL KHAYAL HAI rAJESH KUMARI JI.....mukammal gazal.
रेखा जी आपकी टिपण्णी सर आँखों पर
बढ़ गई होंगी जब दिल की बेताबियाँ
टूटी मेरी तस्वीर फिर संजोई होगी
बढ़ गई होंगी जब दिल की बेताबियाँ
टूटी मेरी तस्वीर फिर संजोई होगी|
ati sundr rachna ke liye badhaai savikaar karen
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नीलांश जी हार्दिक आभार
बढ़ गई होंगी जब दिल की बेताबियाँ
टूटी मेरी तस्वीर फिर संजोई होगी
मैं जानता हूँ हाल इस वक़्त भी उसका
शबनम ओढ़ के पलकों पे सोई होगी
bahut acchi lagi rajesh ji
badhai aapko
सूर्या बाली जी आपकी टिपण्णी मेरे लिए ख़ास मायने रखती है आपकी बहुत सी ग़ज़लें पढ़ी बहुत अच्छी हैं ,मुझे ग़ज़ल शुरू से ही बहुत पसंद हैं बहुत सी लिखी भी हैं किन्तु ओ बी ओ पर इस विधान की काफी जानकारियाँ मिली बहरहाल आपको हार्दिक आभार सराहने के लिए
बहुत खूबसूरत रचना और सुंदर भाव: क्या खूबसूरत मिसरा है......"जिंदगी रूठ के मुझसे कहीं खोई होगी" मज़ा आ गया । बार बार पढ़ने का दिल हो रहा है। बधाइयाँ !!!!!!!!
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर जी हार्दिक आभार मेरी रचना का इतना सुन्दर विश्लेषण करने के लिए सही में सच्चा प्यार वही है
प्रिय महिमा श्री आपकी टिपण्णी हमेशा उत्साहवर्धन करती हैं हार्दिक आभार
जवाहरलाल सिंह जी बहुत ख़ुशी हुई आपकी प्रतिक्रिया देख कर
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