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हाइकु (सिर मुंडाते ही,हास्य )

हाइकु (सिर मुंडाते ही,हास्य  )

(1) 
सिर मुंडाया 
दुकान से निकले 
ओले बरसे 
(२)
पहली बार 
वो छतरी में आई 
बारिश थमी 
(३)
इम्तहान था 
लिखना शुरू किया 
कलम टूटी 
(४)
भागते हुए 
प्लेटफार्म पंहुचा 
ट्रेन निकली 
(५)
श्रृंगार हेतु 
ज्यों घूंघट पलटा
शीशा चटका 
(६)
मिन्नतों बाद 
बाईक पे लिफ्ट दी 
टायर फुस्स
(७)
गिरा आँचल 
लपक के उठाया 
थप्पड़ पड़ा 
(८)
जल्दी पंहुची 
पहला साक्षात्कार 
जबान सूखी 
(९)
पहली बार 
बाग़ में आम आये 
बन्दर घुसे 
(१०)
पहली बार 
चुनाव मैदान में 
जमानत टें
****** 

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Comment

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 28, 2012 at 9:05am

हार्दिक आभार उमा शंकर मिश्र जी 

Comment by UMASHANKER MISHRA on May 28, 2012 at 12:16am
भागते हुए 
प्लेटफार्म पंहुचा 
ट्रेन निकली -यह हाईकू हमारी भाग दौड भरी जिंदगी कि सच्चाई है

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 23, 2012 at 1:51pm


हाँ सीमा जी सही कह रही हैं पर सब की सब सिर मुंडाते ही हुई :))) हार्दिक आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 23, 2012 at 11:18am

अशोक कुमार रकतेला जी हार्दिक आभार 

Comment by Ashok Kumar Raktale on May 22, 2012 at 9:19pm
इम्तहान था 
लिखना शुरू किया 
कलम टूटी 
..........
भागते हुए 
प्लेटफार्म पंहुचा 
ट्रेन निकली 
बहुत सुन्दर हाइकु राजेश कुमारी जी. बधाई.

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 22, 2012 at 2:55pm

 योगी सारस्वत  जी     बहुत बहुत हार्दिक आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 22, 2012 at 2:54pm

 AjAy Kumar Bohat  जी    बहुत बहुत हार्दिक आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 22, 2012 at 2:53pm

डा. सूर्या बाली  जी     बहुत बहुत हार्दिक आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 22, 2012 at 2:48pm

 सुरेन्द्र कुमार भ्रमर जी बहुत बहुत हार्दिक आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 22, 2012 at 2:47pm

रेखा जी बहुत बहुत हार्दिक आभार 

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