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दहेज का दानव बहुत बड़ा है
मुँह विकराल किये खड़ा है ,
कितना भी रोको नही रुकता यह,
रक्तबीज जैसा अपना आकार किया,
पिताओं की पगड़ी इसने उछाली है,
बेटियों के अरमानो को तार तार किया,
कई बेटियों को इस दानव ने जला दिया,
ताने सुन सुन कर जीना हुआ मुहाल,
जो बेटी दहेज न लेकर आई ससुराल,
उस बेटी का क्या था कसूर,
मारकर घर से उसे निकाल दिया,
कैसी परंपरा जो है सब मजबूर,
देश के युवा अब करो कुछ तुम्ही उपाय,
दहेज दानव जल्द से जल्द मारा जाए,
------------

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Comment

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Comment by Ratnesh Raman Pathak on September 28, 2010 at 7:41pm
पूजा जी बेसक ही यह मसला (दहेज़) एक जवलन्त मुद्दा है जिसका जवाब कोई नही दे पता है क्योकि हर कोई इस प्रथा से जुड़ा हुआ है .
यह प्रथा बेहद ही मनुष्य को सर्मषर करने वाली है ,फिर भी आज के ज़माने में सर्वोपरी है .
रही बात इसको बदलने की ....तो यह कोई बहुत बड़ी बात है यह हो सकता है पर सबसे पहले हमें अपने आप को ,अपने तंग मानसिकता को बदलना होगा तभी यह हमारे समाज से दूर होगा .और जहा तक मेरी अपनी समझ है इस प्रथा को समाप्त करने में सायद प्रेम विवाह बहुत ही कारगर होगा .आज के इस लोभी समाज में लडको का रेट सुनिश्चित हो गया है .बस जरुरत है पैसो की ,पैसा दीजिये दूल्हा ले जाइये .सोचिये कितनी शर्मसार है यह.इसलिए मेरा मानना यह है की यदि प्रेम विवाह को बढ़ावा दिया जाये तो दहेज़ प्रथा जरुर ही कम होगी .
रत्नेश रमण पाठक

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 28, 2010 at 7:14pm
पूजा जी अच्छी जमीन पर अच्छी सोच के साथ एक अच्छी रचना, दहेज जैसी असामाजिक रीतियों के खिलाफ आप के अन्दर उठ रहे आक्रोश को प्रस्तुत करने मे यह रचना सफल है |बधाई स्वीकार करे |
Comment by आशीष यादव on September 28, 2010 at 6:37am
Dahej sach me danaw bn gya h. Beti kitni v sundar ho dahej km ho to tane sahna padega chahe karmath v ho. Wah re dahej danaw. Bahut sundar abhiwyakti. Dhanyawad swikar kare.
Comment by Subodh kumar on September 27, 2010 at 6:53am
sunder abhiwyakti..sunder rachna...sunder bhawna...bahut khub

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