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खुबसूरत रचना, प्रयास करें तो यह रचना सहज ही ग़ज़ल बन सकती है, प्रयास पर बधाई स्वीकार करें |
इस रचना को सराहने हेतु हार्दिक आभार आदरणीय योगराज प्रभाकर जी.
//पपड़ी थी तिरस्कार की डाली पे जो जमी,
हार्दिक आभार आदरणीय प्रदीप कुशवाहा जी, वंदना गुप्ता जी, उमाशंकर मिश्रा जी
तिरस्कार को प्यार के आंसू से बहा दिया
बहुत सुन्दर
आदरणीय प्राची जी, सादर
आदरणीय डॉ. सूर्य बाली जी, आपने अपना कीमती वक़्त इस कविता को दिया व हार्दिक बधाइयां प्रेषित की..इस सराहना हेतु आपका बहुत बहुत आभार .
आपने इस रचना को सराह कर मान दिया, हार्दिक आभार आदरणीया राजेश कुमारी जी..
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