For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक सूख कर टूटी हुई डाली थी ज़मीं पर,
वो आया और पतझड़ को भी सावन बना गया I
 
यूँ थाम अपने हाथ डाली मुस्कुरा उठा,
वो स्वप्न ज़िन्दगी के मौत में जगा गया I
 
पपड़ी थी तिरस्कार की डाली पे जो जमी,
नेह की शबनम से वो उसको हटा गया I
 
हक मान अपने हाथ डाली जिस्मों जान के,
ज्ञान बाण भेद वो कन्दरा गढा गया I
 
फिर सप्त छिद्र भेद के उस शून्य नली में,
प्यार की सरगम बहे, वंशी बना गया I
 
सुर रूप सजी बांसुरी, हो पूज्य सर्वदा,
कृष्ण के अधरों पे वो, उसको सजा गया I
 
आन बान शान हाथ सौंप बांसुरी,
ज़र्रे को ज़मीं के वो सितारा बना गया I

Views: 649

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on May 30, 2012 at 9:53am
प्राची जी धन्यवाद। आपको इस सुंदर रचना पर ढेरो बधाइयाँ। एक एक पंक्ति में सुंदर विम्ब के माध्यम से आपने अपनी बात कही है। विशेष कर ये पंक्तियाँ बहुत अच्छी लगी ! पपड़ी थी तिरस्कार की डाली पे जो जमी, नेह की शबनम से वो उसको हटा गया I बहुत बहुत आभार!
Comment by Rekha Joshi on May 28, 2012 at 10:05pm

Prachi ji 

सुर रूप सजी बांसुरी, हो पूज्य सर्वदा,

कृष्ण के अधरों पे वो, उसको सजा गया I
 ati sundr rachna pr aapko badhai 
Comment by Bhawesh Rajpal on May 28, 2012 at 8:51pm
सुर रूप सजी बांसुरी, हो पूज्य सर्वदा,
कृष्ण के अधरों पे वो, उसको सजा गया I
 
अति सुन्दर !  हार्दिक बधाई ! 

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 28, 2012 at 6:13pm

बहुत सुन्दर भाव बांसुरी का बिम्ब बहुत बहुत ही बढ़िया लगा उसकी मर्जी से तो निस्तेज जिस्म में भी जान आ जाती है शुष्क जिंदगी में संगीत की लहर बह चलती है 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"  सरसी छंद  : हार हताशा छुपा रहे हैं, मोर   मचाते  शोर । व्यर्थ पीटते…"
1 hour ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे परिवेश। शत्रु बोध यदि नहीं हुआ तो, पछताएगा…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय, जय हो "
17 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
19 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Dec 14
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service