For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जीवन तुझसे एक वर माँगू

जीवन तुझसे एक वर माँगू

पाप पुण्य से दूर 

जीवन की समझ माँगू 

एकाकी अगर सत्य हो तो 

तथागत बनने का वर माँगू

आवेश ही एक मात्र  मार्ग हो तो 

दुर्योधन का आवेश पाऊँ

क्षमा ही ध्येय हो तो 

युधिष्ठिर का मन पाऊँ 

समर्पण ही अगर सत्य हो तो 

समर्पण की धुरी पर जो कर्ण पिसा 

मैं भी समर्पित हूँ 

उपेक्षा अगर सत्य हो तो 

एकलव्य सा ध्यान चाहूँ

और 

अगर केशव की वाणी एक मात्र सत्य हो  तो 

चिर शांत हो अर्जुन बन जाऊं

जीवन तुझसे एक वर  माँगू

पाप पुण्य से दूर 

जीवन की समझ  माँगू 

Views: 771

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on June 3, 2012 at 4:24pm

अगर केशव की वाणी एक मात्र सत्य हो तो
चिर शांत हो अर्जुन बन जाऊं...............

वाह वाह, बहुत ही सुन्दर रचना, एक एक शब्द अपने गहन अर्थ से इस कविता को उचाई प्रदान कर रहे है, बहुत खूब, बधाई स्वीकार करें |

Comment by Ashok Kumar Raktale on June 3, 2012 at 6:21am

आदरणीय
       सादर, बहुत सुन्दर रचना, जीवन को सफल बनाने के लिए राह चुनने की दुविधा का सफल चित्रण. बधाई.

Comment by arunendra mishra on June 2, 2012 at 12:55am

रेखा जी ...सराहना हेतु धन्यवाद् 

Comment by Rekha Joshi on June 1, 2012 at 8:16am

जीवन तुझसे एक वर  माँगू

पाप पुण्य से दूर 

जीवन की समझ  माँगू ,arunendre ji ,sundr abhivykiti,badhai 

Comment by arunendra mishra on June 1, 2012 at 12:58am

महिमा जी ....आप के सतत उत्साहवर्धन से ही रचनाओ को प्रेषित करने की हिम्मत जुट पाई ....धन्यवाद् ....!!

Comment by arunendra mishra on June 1, 2012 at 12:54am

श्री सौरभ जी ....आप के सतत आशीर्वाद की अपेक्षा है...

Comment by arunendra mishra on June 1, 2012 at 12:52am

अरुण जी ..सराहना हेतु धन्यवाद् ....महामानव नहीं  अपितु  रोजमर्रा के जीवन चक्र  में सामान्य मानव के व्यवहार की समीक्षा की कोशिश की है ... 

Comment by MAHIMA SHREE on May 31, 2012 at 9:38pm

वाह!!!! वाकई में अरुणेद्र जी आपकी रचना उच्च कोटि की है  ..बधाई स्वीकार करे  


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 31, 2012 at 9:25pm

भाई अरुणेंद्र जी, आपकी वैचारिकता सनातन पारंपरिक सोच का परावर्तन है. रचना पाठक का ध्यान खींचने में सफल है.  पौराणिक बिम्बों का प्रयोग सटीक तरीके से हुआ है, इस हेतु आप बधाई के पात्र हैं.  जीवन को दो आवृतियों के साथ इंगित करना अच्छा लगा.

बधाई स्वीकार करें

Comment by Arun Sri on May 31, 2012 at 8:25pm

वाह ! बहुत  बढ़िया मांग है आपकी ! लगता है मानव से महामानव बनने का इरादा है ! आपको पहली बार पढ़ रहा हूँ ! बहुत प्रभावित किया आपने !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service