जीवन तुझसे एक वर माँगू
पाप पुण्य से दूर
जीवन की समझ माँगू
एकाकी अगर सत्य हो तो
तथागत बनने का वर माँगू
आवेश ही एक मात्र मार्ग हो तो
दुर्योधन का आवेश पाऊँ
क्षमा ही ध्येय हो तो
युधिष्ठिर का मन पाऊँ
समर्पण ही अगर सत्य हो तो
समर्पण की धुरी पर जो कर्ण पिसा
मैं भी समर्पित हूँ
उपेक्षा अगर सत्य हो तो
एकलव्य सा ध्यान चाहूँ
और
अगर केशव की वाणी एक मात्र सत्य हो तो
चिर शांत हो अर्जुन बन जाऊं
जीवन तुझसे एक वर माँगू
पाप पुण्य से दूर
जीवन की समझ माँगू
Comment
अगर केशव की वाणी एक मात्र सत्य हो तो
चिर शांत हो अर्जुन बन जाऊं...............
वाह वाह, बहुत ही सुन्दर रचना, एक एक शब्द अपने गहन अर्थ से इस कविता को उचाई प्रदान कर रहे है, बहुत खूब, बधाई स्वीकार करें |
आदरणीय
सादर, बहुत सुन्दर रचना, जीवन को सफल बनाने के लिए राह चुनने की दुविधा का सफल चित्रण. बधाई.
रेखा जी ...सराहना हेतु धन्यवाद्
जीवन तुझसे एक वर माँगू
पाप पुण्य से दूर
जीवन की समझ माँगू ,arunendre ji ,sundr abhivykiti,badhai
महिमा जी ....आप के सतत उत्साहवर्धन से ही रचनाओ को प्रेषित करने की हिम्मत जुट पाई ....धन्यवाद् ....!!
श्री सौरभ जी ....आप के सतत आशीर्वाद की अपेक्षा है...
अरुण जी ..सराहना हेतु धन्यवाद् ....महामानव नहीं अपितु रोजमर्रा के जीवन चक्र में सामान्य मानव के व्यवहार की समीक्षा की कोशिश की है ...
वाह!!!! वाकई में अरुणेद्र जी आपकी रचना उच्च कोटि की है ..बधाई स्वीकार करे
भाई अरुणेंद्र जी, आपकी वैचारिकता सनातन पारंपरिक सोच का परावर्तन है. रचना पाठक का ध्यान खींचने में सफल है. पौराणिक बिम्बों का प्रयोग सटीक तरीके से हुआ है, इस हेतु आप बधाई के पात्र हैं. जीवन को दो आवृतियों के साथ इंगित करना अच्छा लगा.
बधाई स्वीकार करें
वाह ! बहुत बढ़िया मांग है आपकी ! लगता है मानव से महामानव बनने का इरादा है ! आपको पहली बार पढ़ रहा हूँ ! बहुत प्रभावित किया आपने !
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online