इस गीत मैं कुछ वांछित बदलाव करने की कोशिश की है आदरणीय सम्पादक महोदय से निवेदन है की इसे सम्पादित करने की कृपा कर मुझे कृतकृत्य करें
तेरे नैनों में, कैसा ये जादू है
देख के मन ये, मेरा बेकाबू है
इन नैनो में, अब डूब के, मैंने ये मन गंवाया
तेरे प्रेम में, मैंने प्रेम गीत गया ,मैंने प्रेम .....................
मन में छुपाया है प्रेम तेरा, तन में बसाया है प्रेम तेरा
आँखों की प्यास है प्रेम तेरा, जीवन की आस है प्रेम तेरा
शीतल सी आग है प्रेम तेरा , फूलों का बाग़ है प्रेम तेरा
मीरा का रूप है प्रेम तेरा , राधा स्वरुप है प्रेम तेरा
मेरे इस मन को, चुरा के तुम ले गए
दर्द मीठा सा, मुझे कैसा दे गए
अब मन नहीं, लगता कहीं, न जाए कुछ भुलाया
तेरे प्रेम में, मैंने प्रेम गीत गाया, मैंने प्रेम,............
है भोर मेरी ये प्रेम तेरा, है सांझ मेरी ये प्रेम तेरा
कोयल का राग है प्रेम तेरा, होली है, फाग है प्रेम तेरा
झिलमिल दिवाली है प्रेम तेरा, सूरज की लाली है प्रेम तेरा
चंदा की चांदनी प्रेम तेरा, वीणा की रागिनी प्रेम तेरा
मेरी नस नस में, बहे तू लहू जैसे
व्यथा इस मन की, कहूँ तो कहूँ कैसे
न सोये हम, न सोये तुम, सारी निशा जगाया
तेरे प्रेम में, मैंने प्रेम गीत गाया , मैंने प्रेम.....................
सर्दी में धूप है प्रेम तेरा, गर्मी में छाँव है प्रेम तेरा
सावन की बूँद है प्रेम तेरा, बासंती फूल है प्रेम तेरा
बहता सा निर्झर है प्रेम तेरा, पुरवा की सरसर है प्रेम तेरा
खिलता सा कमल है प्रेम तेरा, गाऊँ तो ग़ज़ल है प्रेम तेरा
तुम्ही से ऋतुएं, ये सारी सुन्दर हैं
लग रहा जीवन, ये जैसे मंदर है
पतझड़ में भी, तुमने ही दी, ये प्रेम भरी छाया
तेरे प्रेम में, मैंने प्रेम गीत गाया ,मैंने प्रेम .............
पैजन की झनक में प्रेम तेरा, कंगन की खनक में प्रेम तेरा
बिंदिया की चमक में प्रेम तेरा, नथुनी की दमक में प्रेम तेरा
कानो की बाली में प्रेम तेरा , होंठो की लाली में प्रेम तेरा
झिलमिल से हार में प्रेम तेरा , सोलह सिंगार में प्रेम तेरा
तेरा यूँ सजना, संवरना मेरे लिए
मेरा ये जीवन, गुजारूं तेरे लिए
तेरे मन से ये, मेरा मन मिला,ये गीत गुनगुनाया
तेरे प्रेम में, मैंने प्रेम गीत गाया, मैंने प्रेम..............
संदीप पटेल "दीप"
Comment
सुंदर प्रेमगीत के लिए बधाई संदीप जी .. एक तरफ गंभीर गज़ल दूसरी ओर प्रेमरस में भींगी और सबको भिंगाती रचना, आप तो छा गए :))))
aadarneey gurudev @Saurabh Pandey sir ji saadar naman
aapki baat ekdam sahi hai kintu maine to ise bhi geetatmak hi likhane ki koshish ki thi ,,,,,,,,,,,,,,,,,par isme gunjaaish hai sudhaar kee aapke hisaab se to main ek baar punh koshish karunga ki ise aur naye aayam diye jaa saken .........................aapka bahut bahut shukriya aur saadar aabhari hun
mitra Arun Srivastava bhai aapka saadar aabhar jo aapne ye rachna padhi aur ise saraha mera utsaah badhaya
ek baar fir aapka aabhar
aadarneey @Albela Khatri sir ji
aapki pratikriya se man prasann huaa aapka bahut bahut dhanyvaad aur saadar aabhar ................apna ye prem aur sahyog banaye rakhiye aapki salaah sar aankhon par
अच्छी सोच और प्रस्तुति है. यदि प्रस्तुतिकरण के क्रम में धैर्य से काम लिया जाता तो इस रचना को यथोचित विधा आश्रित सुन्दर गीतात्मक रूप में प्रस्तुत किया जा सकता था. इस प्रेमपगी रचना में इस हेतु अपार संभावनाएँ हैं.
बहरहाल, प्रेम की पताका फहराने के लिये हार्दिक धन्यवाद
बहुत प्रेममय गीत संदीप जी ! हर पंक्ति में प्रेम ही प्रेम ! आनंद ही आनंद ! बधाई मित्र !
वाह वाह संदीप पटेल "दीप" साहेब,
बहुत डीप में उतर गये आप.........प्रेम का महोत्सव खड़ा कर दिया ....जय हो....
बहुत ही शानदार काव्य बांचने का अवसर दिया ....धन्यवाद भाई.........
एक निवेदन भी है कि टंकण में एक त्रुटी रह गई है वो सुधार लें तो मज़ा दुगुना हो जाये
जीवन की आश है प्रेम तेरा____यहाँ आश को आस कर लें
सादर
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