For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ये सिर्फ अपनों के लिये ही बहते हैं

कदम उनसे दूर जाने लगे 

मन में उथल -पुथल 
सी होने लगी 
वो साथ थे तब तक 
सब अच्छा था
अब ये आँखें भी 
बोलने लगीं 
इनकी नमी ह्रदय -व्यथा 
व्यक्त करने लगी 
और शायद आंसुओं की
उपस्तिथि बयां कर 
रही थी .
और हाँ कल जब वो आये 
तब भी ये नमीं थी ,
आंसूं बहे थे 
पर कल तो दिल में ख़ुशी 
का ठिकाना न था .
मैं भला अनजान खुद को 
कैसे समझाता कि
उनके आने कि ख़ुशी हो या 
जाने का गम , ये तो 
बहते ही हैं ,
और दोनों बार एक जैसे  ही .
लेकिन इतना जरुर 
समझ में आया कि 
ये सिर्फ अपनों के लिये ही 
बहते हैं , कभी भी 
परायों के लिये नही 

Views: 434

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Bishwajit yadav on June 3, 2012 at 10:27pm
अजय जी बहुत सुन्दर रचना बधाई हो कुछ पक्तियाँ टच माई दिल
जय हो
Comment by Rekha Joshi on June 2, 2012 at 8:29pm

अजय जी ,बहुत ही बढ़िया रचना ,सच में यह अपने लिए ही बहते है ,लेकिन महान लोगो की आँखों में यह दूसरों के लिए भी बहते है ,पर ऐसे लोग बहुत कम है ,अच्छी रचना पर बधाई स्वीकार करें |

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on June 2, 2012 at 6:53pm

बाकई ये सिर्फ अपनों के लिए ही बहते हैं
बहुत सुन्दर रचना आपको बधाई स्वीकारें श्रीमान

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 1, 2012 at 4:55pm

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति. काश ये दूसरों के लिए भी बहें. बधाई 

Comment by Ajay Singh on June 1, 2012 at 4:52pm

अब ये आँखें भी

बोलने लगीं 

इनकी नमी ह्रदय -व्यथा  

व्यक्त करने लगी    ....             और हाँ कल जब वो आये  the    तब भी ये नमीं थी.........


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on June 1, 2012 at 4:38pm
इनकी नमी ह्रदय -व्यथा व्यक्त करने लगी और शायद आंसुओं की उपस्तिथि बयां कर रही थी .और हाँ कल जब वो आये तब भी ये नमीं थी.......
अजय जी, थोड़ी खरी खरी हो जाये.......कविता किधर है, सलाह है कि औरों की रचनाओं को पढ़े बहुत मदद मिलेगी |प्रयास हेतु साधुवाद, प्रयासरत रहे |
Comment by Albela Khatri on June 1, 2012 at 11:23am

BAHUT HI ACHHI KAVITA  AJAY SINGH JI..BADHAAI......

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद  ______ जगमग दीपों वाला उत्सव,उत्साहित बाजार। जेब सोच में पड़ी हुई है,कैसे पाऊँ…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"चार पदों का छंद अनोखा, और चरण हैं आठ  चौपाई औ’ दोहा की है, मिली जुली यह ठाठ  विषम…"
4 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद * बम बन्दूकें और तमंचे, बिना छिड़े ही वार। आए  लेने  नन्हे-मुन्ने,…"
13 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
" प्रात: वंदन,  आदरणीय  !"
19 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद : रौनक  लौट बाजार आयी, जी   एस   टी  भरमार । वस्तुएं …"
19 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम..."
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 184 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Monday
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Oct 13

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Oct 13

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
Oct 12

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service