For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सुग्गे!!!..............(लघुकथा)

सुग्गे!!!

(लघुकथा)
-----------------------------------------------------------
रोज की तरह आज भी रमेश सायकल पर सुग्गों  के पिंज़रे लटका कर बेचने के लिये निकला.आज की धूप सुबह से ही चिलचिलाती सी थी.
दिनभर आवाज लगा-लगा कर रमेश का गला सूखा जा रहा था.पूरब की लाली धीरे-धीरे पश्चिम के आकाश को लाल करने लगी थी मगर एक भी सुग्गे की बिक्री का संयोग रमेश के भाग में नहीं आया.धूप से बेहाल,थक कर चूर, रमेश सुग्गों के पिंज़रों से भरी सायकल एक पेड़ से टिका कर बैठ गया.....
थोड़ी देर बाद राह चलते लोगो का ध्यान गया.लोगो ने देखा की पिंज़रे में रखे सुग्गे फड-फड़ा रहे थे और रमेश के शरीर का पिंजरा अपने सुग्गे के बिना सूना पड़ा था!!!!!
--------------------------------------------------------------------
अविनाश बागडे.

Views: 398

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Albela Khatri on June 15, 2012 at 9:00am

वाह वाह  अविनाश बागडे जी,
गागर में सागर का  आभास कराती इस बहुत ही मार्मिक  लघु-कथा  'सुग्गे' के लिए आपका अभिनन्दन
__बधाई

Comment by AVINASH S BAGDE on June 13, 2012 at 6:49pm

aabhar....Yogi Saraswat ji

              PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA  ji.

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 12, 2012 at 3:10pm

चल उड़ जा रे पंछी तेरा देश हुआ बेगाना 

सुन्दर कथानक प्रस्तुतीकरण पे दिल हुआ दीवाना 

बधाई.

Comment by Yogi Saraswat on June 12, 2012 at 10:31am

ये जो इंसान है , ये कभी कभी इतना कमज़ोर मालूम होता है जैसे इसके बस का कुछ नहीं ! मार्मिक कथा , बेहतरीन !

Comment by AVINASH S BAGDE on June 12, 2012 at 10:17am
Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on June 12, 2012 at 9:14am

achhi katha .........bahut saare saar samete hue hai ...........

Comment by UMASHANKER MISHRA on June 11, 2012 at 11:19pm

अत्यंत छोटी कथा पर दिल में दर्द का तूफान ला दी

रमेश के शरीर का पिंजरा अपने सुग्गे के बिना सूना पड़ा था!!!!!

Comment by अरुण कान्त शुक्ला on June 11, 2012 at 8:32pm

अविनाश भाई , कथा अच्छी है . बधाई .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service