छा गए नभ पे बादल
धरा पे हलचल हो गयी
बह चली शीतल पवन
आशाएं तरंगित हो गयी
बरसेगा धरती पे जल
किसान चलाएगा हल
डालेगा बीज खेतों में
स्वर्णिम होगा घर घर
बरखा बूँदें गिरने से
धरा तो गीली हो गयी
छा गए नभ पे बादल
धरा पे हलचल हो गयी
बह चला पानी धरती पर
अमूल्य है ये निर्मल जल
हो जाए कहीं बेकार नहीं
बना के मेड़ों पर बंद
जल निकास नाली हो गयी
छा गए नभ पे बादल
धरा पे हलचल हो गयी
देखा मौसम बारिश का
झूम उठा मयूर मन
भीगी चोली भीगा तन
हर्षित पुलकित हुआ जन
लगाये नाना पौध सभी
धरा पे हरियाली हो गयी
छा गए नभ पे बादल
धरा पे हलचल हो गयी
Comment
धरा पे हरियाली हो गयी
छा गए नभ पे बादल ..wah!
Pradeep ji
wah!
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