For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

उसकी अदा ने दिल को घायल कर रखा है

उसने यारों मुझको पागल कर रखा है।
उसकी अदा ने दिल को घायल कर रखा है॥

अश्क़ों की बारिस को अब मैं रोकूँ कैसे,
आँखों को सावन का बादल कर रखा है॥

ख़ुद ही बढ़ के जाम उठा लेंगे महफिल में,
उसकी उलझन को मैंने हल कर रखा है॥

सूरज तेरी धूप भला क्या कर लेगी जब,
माँ ने मेरे सर पे आँचल कर रखा है॥

मेरे ख़यालों में छाया रहता है हरदम,
जीना मुश्किल उसने पल पल कर रखा है॥

जब से उसकी चाहत रूठी तबसे उसने,
दिल के घर आँगन को जंगल कर रखा है॥

ज़हरीले साँपों ने घेरा मुझको “सूरज”
मैंने जब से ख़ुद को संदल कर रखा है॥

 

                  डॉ. सूर्या बाली “सूरज”

Views: 409

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Nilansh on June 14, 2012 at 7:57pm

khoobsoorat ghazal surya bhai

Comment by Albela Khatri on June 14, 2012 at 1:14pm

जय हो डॉ सूर्य बाली  'सूरज' जी,
क्या ख़ूब अन्दाज़
क्या ख़ूब अलफ़ाज़
मस्त ग़ज़ल.........

सूरज तेरी धूप भला क्या कर लेगी जब,
माँ ने मेरे सर पे आँचल कर रखा है॥

_____इस शे'र ने तो आपका कायल कर दिया
__बधाई !

Comment by Bishwajit yadav on June 13, 2012 at 9:12pm
प्रणाम सुरज जी
उसने यारों मुझको पागल कर रखा है।
उसकी अदा ने दिल को घायल कर रखा है||
वाह क्या बात है बहुत बेजोड रचना है
"टच माई दिल भईया जी"
Comment by UMASHANKER MISHRA on June 13, 2012 at 8:34pm

ज़हरीले साँपों ने घेरा मुझको “सूरज”
मैंने जब से ख़ुद को संदल कर रखा है॥ बहुत सुन्दर भाव के साथ उत्तम प्रस्तुति

Comment by Albela Khatri on June 13, 2012 at 7:53pm

क्या बात  है डॉ  सूर्य बाली  'सूरज' जी,
वाह ! वाह !  बहुत ख़ूब ग़ज़ल..........
ख़ास तौर पर यह शे'र  दिल में उतर गया -

सूरज तेरी धूप भला क्या कर लेगी जब,
माँ ने मेरे सर पे आँचल कर रखा है॥

___बधाई

Comment by अरुण कान्त शुक्ला on June 13, 2012 at 7:08pm

जब से उसकी चाहत रूठी तबसे उसने,
दिल के घर आँगन को जंगल कर रखा है॥

अलग और बढ़िया अंदाज .. बधाई .

Comment by AVINASH S BAGDE on June 13, 2012 at 6:53pm

सूरज तेरी धूप भला क्या कर लेगी जब,
माँ ने मेरे सर पे आँचल कर रखा है॥.....kurban....kya sher hai “सूरज” bhai.

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 13, 2012 at 3:41pm

आदरणीय सूरज जी, 

सादर 

शेरो   के  गुलदस्ते  को 

लोग  गजल  कहते हैं 

तपता  रहता है जो 

उसको  सूरज  कहते  हैं 

बधाई.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service