For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दुश्मनों तुम सरहदों के पार मत देखा करो

दुश्मनों तुम सरहदों के पार मत देखा करो॥
आँख जल जाएगी ये अंगार मत देखा करो॥

ऐ मसीहा इस तरह बीमार मत देखा करो॥
आदमी में सिर्फ तुम आज़ार मत देखा करो॥

इश्क़ में दीवानगी रांझा के जैसी गर नहीं,
हुस्न में फिर हीर जैसा प्यार मत देखा करो॥

चंद सिक्कों के लिए ईमान बिक जाते यहां,
आजकल के दौर का बाज़ार मत देखा करो॥

दिल जिगर को चाक करती हैं अदाएं आपकी,
मुस्कुरा के इस तरह सरकार मत देखा करो॥

दुश्मनों से भी कभी जाके मिलो दिल खोलकर,
गुल मिलेंगें बदले में या ख़ार मत देखा करो॥

बेबसी, बेचैनियाँ, बेताबियाँ, तनहाईयाँ,
क्या क्या दिल में हैं छुपाए यार मत देखा  करो॥

ख़ून मेरा भी बहा है इस वतन की शान में,
शक़ की नज़रों से हमें हर बार मत देखा करो॥

देख करके मुश्किलें “सूरज” न हिम्मत हारना,
ढूंढ लो रस्ता कोई दीवार मत देखा करो॥

 

                        डॉ. सूर्या बाली “सूरज”

Views: 489

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SHARIF AHMED QADRI "HASRAT" on June 11, 2012 at 12:57pm

bahut khoob sooraj ji kya baa he har sher naayaab he mukammal ghazal maza aa gaya is shaandar ghazal ke liye bahut bahut mubarakbaad pesh karta hoon kubool karein

Comment by अरुण कान्त शुक्ला on June 8, 2012 at 2:27pm

दिल जिगर को चाक करती हैं अदाएं आपकी,
मुस्कुरा के इस तरह सरकार मत देखा करो॥ वाह डा. साहब .. शानदार ..

Comment by Nilansh on June 7, 2012 at 12:37am

देख करके मुश्किलें “सूरज” न हिम्मत हारना,
ढूंढ लो रस्ता कोई दीवार मत देखा करो

 

ek aur acchi ghazal surya ji aapki

bahut badhaai

Comment by UMASHANKER MISHRA on June 6, 2012 at 11:00pm

बेबसी, बेचैनियाँ, बेताबियाँ, तनहाईयाँ,
क्या क्या दिल में हैं छुपाए यार मत देखा  करो॥

गजल का हर शेर उम्दा है 

बहुत बढ़िया 

Comment by जगदानन्द झा 'मनु' on June 6, 2012 at 5:02pm

बहुत सुन्दर गजल , बहुत-बहुत  बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 6, 2012 at 4:38pm

ख़ून मेरा भी बहा है इस वतन की शान में,
शक़ की नज़रों से हमें हर बार मत देखा करो॥

देख करके मुश्किलें “सूरज” न हिम्मत हारना,
ढूंढ लो रस्ता कोई दीवार मत देखा करो॥लाजबाब ...सभी शेर शानदार हैं इस दो शेरों के लिए विशेष बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted discussions
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Monday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई, बह्र भी दी जानी चाहिए थी। ' बेदम' काफ़िया , शे'र ( 6 ) और  (…"
Sunday
Chetan Prakash commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"अध्ययन करने के पश्चात स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है, उद्देश्य को प्राप्त कर ने में यद्यपि लेखक सफल…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
Saturday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत सुंदर ग़ज़ल ... सभी अशआर अच्छे हैं और रदीफ़ भी बेहद सुंदर  बधाई सृजन पर "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
Jul 3
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। सार्थक टिप्पणियों से भी बहुत कुछ जानने सीखने को…"
Jul 3
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Jul 2
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गीत का प्रयास अच्छा हुआ है। पर भाई रवि जी की बातों से सहमत हूँ।…"
Jul 2

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service