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जय जय भारत जय जय भारत

जय जय भारत जय जय भारत
नारद शारद करते आरत
जय जय भारत जय जय भारत

वीरों की जननी है भारत
संतों की धरनी है भारत
अब तो बस ठगनी है भारत
जय जय भारत जय जय भारत

नव नव गुंडे फिरते हैं अब
घोटाले ही करते हैं अब
चोरों की सत्ता है भारत
जय जय भारत जय जय भारत

आतंकी अब मौज मनाते
नक्शल वादी फ़ौज बनाते
दहशत की संज्ञा है भारत
जय जय भारत जय जय भारत

गंगा की धारा है निर्मल
यमुना भी बहती है कल कल
पुस्तक में ऐसा था भारत
जय जय भारत जय जय भारत

सुन्दर हर युवती राधा सी
मर्यादा अब है बाधा सी
तोड़े सारे बंधन भारत
जय जय भारत जय जय भारत

दर दर हैं अब भ्रष्टाचारी
अधिकारी ये हैं सरकारी
जनता का लुटता सा भारत
जय जय भारत जय जय भारत

मंदिर में कान्हा लुटते हैं
मस्जिद मैं मौला लुटते हैं
धर्मों का रेला है भारत
जय जय भारत जय जय भारत

कोई साईं कोई दुर्गा
जन मन लगता है अब मुर्दा
षड्यंत्रों का प्यारा भारत
जय जय भारत जय जय भारत

विस्फोटों की रागें सुनता
तरुणों की नव मांगें सुनता
प्रलयंकारी सुर का भारत
जय जय भारत जय जय भारत

मृत्यु करती नर्तन हर पल
बाज़ारों में फिर भी हलचल
तांडव करता सारा भारत
जय जय भारत जय जय भारत

संदीप पटेल "दीप"

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Comment by rajesh kumari on June 23, 2012 at 4:37pm

अपने देश की आज की सूरत को आइना दिखाती रचना बहुत खूब ...बधाई संदीप जी 

Comment by SHARIF AHMED QADRI "HASRAT" on June 23, 2012 at 1:33pm

sandeep ji desh ke haalat bayan karti bahut hi sundar rachna ke liye  dili daad pesh karta hoon kubool karein

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