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हाइकु.
-----------
पाली बेशक
उड़ गई चिड़िया
बाकी हैं अश्क.
----------------
सच्चाई दिखी
मन थर-थराया
कविता लिखी
--------------
साथ रहोगी
अँधेरा बहुत है
सुबह होगी
---------------
देव पाषाण
दर-दर ठोंकरे
कहाँ निदान
-------------
गोली लगी थी
बेमौत मर गया
गोली नहीं थी!!
------------
आँखों में सूखा
मर गया है पानी
रिश्वत तू खा.
--------------
मै नहीं हम
पहचान गया हूँ
हटा है तम
------------
अरे! पगले
क्यूँ हजारों ख्वाहिशें
दम निकले
--------------
धुएं की खाई
सिगरेट जलाई
जान गँवाई .
--------------
अविनाश बागडे......

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Comment

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Comment by AVINASH S BAGDE on July 10, 2012 at 7:42pm

सभी विदुषियों...का...

संगीता स्वरुप जी
डॉ.प्राची सिंह जी
दीप्ति शर्मा जी...और
सवी जी....
ह्रदय से आभार.
Comment by savi on July 7, 2012 at 3:41pm

आदरणीय अविनाश जी,

अरे! पगले
क्यूँ हजारों ख्वाहिशें
दम निकले|
 
बहुत खूब|
Comment by deepti sharma on July 6, 2012 at 11:28pm

आदरणीय अविनाश जी बहुत सुंदर हाइकू|


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 6, 2012 at 10:37pm

बहुत सुन्दर हाइकू आ.अविनाश जी.

Comment by sangeeta swarup on July 6, 2012 at 10:33pm

गोली लगी थी

बेमौत मर गया
गोली नहीं थी!!
 
हाइकु में  भी यमक अलंकार का प्रयोग .... गजब है .... बहुत सुंदर हाइकु 

कृपया ध्यान दे...

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