For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

खिलौना........लघुकथा.

रेंजर साहब की पत्नी आगन में बैठकर अपने तीन साल के बेटे को खिला रही थी.सामने के पेड़ पर एक बंदरिया अपने छोटे से बच्चे को छाती से  चिपकाए इधर-उधर कूद-फांद रही थी.बेटे की नज़र उस बंदरिया और उसके बच्चे पर पड़ी.वाह माँ से जिद करने लगा कि उसे खेलने के लिये बंदर का बच्चा चाहिए. माँ ने पिता के आने के नाम पर बेटे को बहलाए रखा.लंच पर रेंजर साहब आये.आते ही पत्नी ने फ़रमाया :
'मुन्ने को सामने के पेड़ पर रहने वाली बंदरिया का बच्चा खेलने के लिये चाहिए".
"इतनी सी बात है"
"अभी लो' ,कह कर रेंजर साहब अपनी बन्दूक  लेकर बाहर लपके.
"धांय....!!!!",बन्दूक  से शोला निकला.
कुछ देर बाद अर्दली बंदर के बच्चे को लेकर साहब के पीछे-पीछे घर में दाखिल हुआ. क़तर निगाहों से सहमा हुआ वाह बंदर का बच्चा अपनी माँ बंदरिया की मृत देह को घसीट कर कम्पाउंड  के बाहर जाते हुये देख रहा था.मुन्ने को उसका खिलौना मिल गया.मां भी अपने बेटे की ख़ुशी देख कर खुश थी और रेंजर साहब अपने पराक्रम पर  गर्व महसूस कर रहे थे.
------------------------------------
अविनाश बागडे.

Views: 685

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by AVINASH S BAGDE on July 24, 2012 at 8:58pm

shubhranshu ji aabhar...

Comment by Shubhranshu Pandey on July 24, 2012 at 1:36pm

कुछ ऎसा ही मुगल काल के रंगीला बादशाह के लिये भी कहा जाता है कि उसने अपनी बेगम की इच्छा को पूरा करने के लिये चांदनी रात में यमुना में जा रही नाव को डुबवा दिया था.......

यहां.. मां... को शायद खुश नही रखा जा सकता था... आवाक् , भौंचक , बना कर भी रखा जा सकता था..

Comment by AVINASH S BAGDE on July 23, 2012 at 9:54am

सौरभ जी ...उमाशंकर मिश्र जी...आदरणीय लाड़ीवाल  जी..अलबेला खत्री जी.

मेरी रचना का मर्म आपने समझा...शब्दों से सहलाया...कर्म सार्थक हुआ..
ह्रदय  से आभार...

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 22, 2012 at 11:37pm

ओह !! ... .

Comment by Albela Khatri on July 22, 2012 at 11:14pm

रुला दिया भाई जी..........
आँखों को नहीं आत्मा को
कितने ज़ालिम लोग हैं हम...........
उफ़ !
___पशु से ज्यादा पशु,,,,,,,,,,,

__इस पर बधाई देने के लिए भी पत्थर का कलेजा चाहिए...... !

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 22, 2012 at 11:02am
धनि-मानी लोग, पुलिस या रेंजर और शाही खानदान के लोग वर्षों 
से अबोध, मासूम बेजुबान और बेसहारा को मच्छर की तरह या 
खिलौना समझते आये है | उनके दिल कहाँ है ? यह मार्मिकता  
इस कहानी की सार्थकता है | बहुत बधाई आद. अविनाश बागडे जी |
Comment by UMASHANKER MISHRA on July 22, 2012 at 8:48am

आदरणीय अविनाश जी अत्यंत मार्मिक कथा नेत्र भर आये

Comment by Er. Ambarish Srivastava on July 21, 2012 at 11:28pm

स्वागतम मित्रवर !

Comment by AVINASH S BAGDE on July 21, 2012 at 10:44pm
अम्बरीश भाई,
मेरी इस लघुकथा पर जो सटीक प्रतिक्रिया दी उसने मेरे इस लेखन को सार्थकता प्रदान की है
आभार भाई जी.
Comment by Er. Ambarish Srivastava on July 21, 2012 at 8:49pm

आदरणीय बागडे साहब ! यह सिर्फ एक लघुकथा ही नहीं .....वरन आज के दौर की सच्चाई है| वाकई आज,  आदमी के अंदर का इंसान तो कब का मर चुका.....  क्या कहूँ इस हैवानियत के ठेकेदार रेंजर को..... इंसानियत शर्मसार है !

इस सफल लेखन पर बधाई स्वीकारें ! सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक  भाईजी  हार्दिक बधाई स्वीकार करें इस सार्थक दोहावली के लिए| दोपहर और …"
12 minutes ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी  हार्दिक बधाई इस सार्थक दोहावली के लिए| तन-मन ये मन  से …"
35 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और सुझाव के लिए हार्दिक आभार। अंतिम…"
40 minutes ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"दोहा छंद   ++++++ ग्रीष्म बाद ही मेघ से, रहती सबको आस| लगातार बरसात हो, मिटे धरा की…"
46 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
50 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी प्रस्तुति की प्रतीक्षा थी, शिज्जू भाई।  वैसे आज बाहर गया था। सबकी प्रस्तुतियों पर एक-एक…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"किसको लगता है भला, कुदरत का यह रूप। मगर छाँव का मोल क्या, जब ना होगी धूप।। ऊपर तपता सूर्य है, नीचे…"
4 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह अशोक भाई। बहुत ही उत्तम दोहे। // वृक्ष    नहीं    छाया …"
7 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"   पीछा करते  हर  तरफ,  सदा  धूप के पाँव।   जल की प्यासी…"
7 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"     दोहे * मेघाच्छादित नभ हुआ, पर मन बहुत अधीर। उमस  सहन  होती …"
7 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. अजय जी.आपकी दाद से हौसला बढ़ा है.  उस के हुनर पर किस को शक़ है लेकिन उस की सोचो…"
11 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"बहुत उत्तम दोहे हुए हैं लक्ष्मण भाई।। प्रदत्त चित्र के आधार में छिपे विभिन्न भावों को अच्छा छाँदसिक…"
11 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service