For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कटाक्ष
हेलमेट-गुटखा संवाद....अध्याय एक प्रारंभ!!!!!!!!
-----------------------------------------------------

सुबह-सुबह हेलमेट और गुटखे की पान की टपरी पे मुलाकात हो गई.

'कैसे हो हेलमेट भाई?'..इधर-उधर आशंका भरी निगाहों से देखते हुये गुटखे ने अपना नकाब सरकते हुये पूछा.
'ठीक  हूँ ' फुरसतिया अंदाज़ में मूंछों पर ताव देते हुये हेलमेट गरियाया .
'यार हमारे तो वांदे है आजकल..फिर से इन तथाकथित समाज के पैरोकारगणों ने जीना मुहाल कर दिया है'
गुटखा अपने सर पे हाँथ रख बोला.
'यार जब देखो तब चालू कर देते है और जब देखो तब बंद...जरा सोचो हमारे उन चाहने वालो का जिन्हें मुह से पिचाकरिया छोड़ने का 
बचपन से शौक रहा है...बेचारे क्या करेंगे?
आजकल बच्चे के मुह में दूध की बोतल नहीं खर्रे का पाउच डाला जाता है..
महिलाओं के कोख में बच्चा और मुहँ में गुटखा होता है...
लेबर रूम मे दाखिल  होने के पहले आखिरी इच्छा होती है एक अदद खर्रे की पुडिया...
यहाँ-वहां दीवारों पे जो नैसर्गिक माडर्न आर्ट की मुफ्त की प्रदर्शनी पर पहाड़ टूट गया है...
सरकारी दफ्तरों में जाते समय आदमी इन भित्ति-चित्रों के कारण एक अतिरिक्त सावधानी बरता करता था
 जिससे जेब-कट आसानी से अपना काम नहीं कर पाते थे .
अब बेचारे नागरिको की सुरक्षा इन उठाईगिरों से कौन करेगा.???'
धारा प्रवाह बोला जा रहा था गुटखा.......
हूँ..हूँ..हूँ...हूँ   कर के हेलमेट भी गंभीर हो गया.
उसे भी इस कभी हाँ...कभी ..ना वाली बीमारी का अच्छा-खासा अनुभव था.
'ना जाने सर की सुरक्षा के नाम पर कितनेपुलीस अधीक्षक अपने पदों की सुरक्षा करने में असमर्थ रहे थे!!
इन नए-नए नेतागिरी के कुकुर-मुत्ते उगाने वालों की तो जैसे पौ-बारह हो जाती है.
किसी बड़े दल का मुखिया बनने की यही तो नर्सरी स्कुल है..
इनके बड़े बनने के चक्कर में हम-तुम बिना वजह परेशान होते रहते है..'
हेलमेट, गुटखे की बातों के समर्थन में सर हिलाते बोला.
'अब मुझपे ऐसी पाबन्दी आई तो मै मुख-केंसर बहन को क्या मुख दिखाऊंगा!!!
सोचा था इस राखी पर उसे रिकार्ड मरीजो का तोहफा दूंगा मगर एन इस पावन त्यौहार के मुहाने पर
 मरदूदों ने बंदी के बेरीकेट्स खड़े कर दिये...
क्या सोचेगी मेरी बहना???'गुटखे ने अफसोस प्रगट करते हुये कहा.
'अरे हाँ! मुझे भी याद आया जब लोगो पे मुझे पहनने की सख्ती की गई थी तो मै अपने साले 'ब्रेन हेमरेज' से कई दिन तक आँखे नहीं मिला सका था'..अपनी आपबीती सुनाते हुये हेलमेट बोला.मेरा अपने साले से वादा था कि मै उसके रास्ते में नहीं आऊंगा.अभी फ़िलहाल तो ठीक है मगर इस बकरे की मां कब तक खैर मनाएगी.....!!!
'अरे! पुलिसवाला', गुटके कोसचेत करते हुये हेलमेट बोला...
'घबराओ मत दोस्त ये अपने फेवर वाला आदमी है
ऐसे ही कुछ ईमानदार लोगो के कारण मै अपने चाहने वालो से चोरी -छुपे मिल पाता हूँ"
गुटखे ने हेलमेट को आश्वस्त किया.
'स्मगलिंग जैसे पावन कार्यों में आजकल मेरी मांग जरा ज्यादा बढ़ गई है बस इसी बात का संतोष है...
अब मेरे चाहने वाले भी मेरी कद्र करने लगें है.नहीं to
पहले इन  गुटखा खाने वालो के नाना चोचले थे...ये नहीं वो चाहिए...वो नहीं वो चाहिए..
मेरे अभिभावक पान-टपरी वाले परेशान थे..."
'बंद करो...बंद करो  '.दूर से कुछ आवाजे आने लगी...गुटखा दुबक गया और हेलमेट ने भी अपने स्कूटर को ऐड लगे और चलता बना.......
----------------------------
कभी  हेलमेट कभी गुटखा...कभी बंद कभी चालू
सी.एम. परेशान..किस- किस को संभालूं...!!!!!!!
---अविनाश बागडे...नागपुर....aavinashbag@gmail.com

 

Views: 380

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ashok Kumar Raktale on July 25, 2012 at 11:03pm

अविनाश जी

                 सादर, खर्रा नहीं खैनी सही. जब तक सब जगह बंद नहीं होगा यह सिलसिला जारी रहेगा. हेलमेट और गुटखे का सुन्दर तालमेल बैठाने पर बधाई.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
yesterday
Tilak Raj Kapoor updated their profile
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। समाँ वास्तव में काफिया में उचित नही…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, हार्दिक धन्यवाद।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई तिलक राज जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, स्नेह और विस्तृत टिप्पणी से मार्गदर्शन के लिए…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय तिलकराज कपूर जी, पोस्ट पर आने और सुझाव के लिए बहुत बहुत आभर।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service